मानसून में श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा कम करने के अपनाएं ये 5 तरीके
मानसून के दौरान अस्थमा पीड़ित लोगों के साथ स्वस्थ लोग भी अक्सर श्वसन संबंधी परेशानी का अनुभव करते हैं। इसका एक प्रमुख कारण आर्द्रता का उच्च स्तर है। खासकर जब बादल छाए हों, लेकिन बारिश नहीं हो रही हो तो इससे सांस लेने में तकलीफ होने के मामले बढ़ जाते हैं। ऐसे में आइए आज हम आपको मानसून में श्वसन संबंधी समस्याओं से सुरक्षित रहने के कुछ तरीके बताते हैं।
अपने आस-पास सफाई रखें
मानसून के दौरान हवा में परागकणों की मात्रा बढ़ने के कारण एलर्जी बहुत तेजी से फैलती है। ऐसे में अपने घर को साफ रखना महत्वपूर्ण है। घर में इस्तेमाल होने वाला कोई भी कपड़ा, फिर चाहे वह आपका सोफा कवर, ब्लाइंड्स, चादर और टेबल क्लॉथ हो आदि को साफ और सूखा रखा जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त अगर आपके परिवार के सदस्यों को धूल और पराग से एलर्जी है तो अपने घर की सफाई करते समय मास्क पहनें।
अपने शरीर को मानसून के लिए करें तैयार
अधिकांश फेफड़ों की बीमारियां कमजोर प्रतिरक्षा वाले शरीर पर हमला करती हैं। इस वजह से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना महत्वपूर्ण है, जिनमें एंटी-ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में हों। इसके साथ ही अपनी डाइट में सब्जियों, फलों और साबुत अनाज के रूप में विटामिन-C, विटामिन-D, विटामिन-B12, आयरन और ओमेगा-3 फैटी एसिड शामिल करें। इस तरह से आपका शरीर मानसून का सामना करने के लिए तैयार हो सकता है।
बारिश में भीगने से बचें और भाप लें
अगर आपको मानसून में सांस लेने में परेशानी होती है तो खुद को बारिश से बचाने के साथ ही खुद को गर्म रखने की कोशिश करें। इसके लिए बारिश में भीगने से बचें और नहाने के बाद अपने शरीर को सूती तौलिए से अच्छी तरह पोंछे। इसके साथ ही समय-समय पर भाप लें। भाप लेने से वायुमार्ग को खोलने में मदद मिल सकती है और सांस लेना आसान हो सकता है।
समय से टीके लगवाना है जरूरी
एलर्जी और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को मानसून आने से पहले इंफ्लूएंजा और निमोनिया सहित सामान्य श्वसन बीमारियों के टीके लगवा लेने चाहिए। बीमारी से बाद में लड़ने की तुलना में निवारक उपाय करना कहीं बेहतर है, खासकर वरिष्ठ नागरिकों के मामले में। इसके लिए डॉक्टर से संपर्क करें और उनसे इन टीकाकरण के लिए अपॉइंटमेंट बुक करें और समय से इन्हें लगवाना सुनिश्चत करें।
अपने ट्रीटमेंट को नजरअंदाज न करें
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और ऐसी किसी भी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को मानसून का मौसम आने से पहले अपने पल्मोनोलॉजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए। इससे आपको यह जांचने में मदद मिलेगी कि क्या उनकी उपचार योजना में बदलाव की जरूरत है या नहीं। मरीजों को अक्सर मानसून के मौसम के दौरान गंभीर रोगियों के लिए दैनिक रखरखाव उपचार में बदलाव की सलाह दी जाती है।