आर्थिक सर्वेक्षण: अगले साल 6-6.5 प्रतिशत रहेगी विकास दर, ऐसे पैदा होंगी चार करोड़ नौकरियां
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 को आज लोकसभा में पेश किया। मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम द्वारा तैयार इस सर्वे में अगले वित्त वर्ष यानि 2020-21 में भारत की विकास दर छह प्रतिशत से साढ़े छह प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं इस साल विकास दर पांच प्रतिशत रहेगी। इसके अलावा सर्वे में अगले पांच साल यानि 2025 तक चार करोड़ नौकरी पैदा करने का तरीका भी सुझाया गया है।
इन कारणों से आ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट
इस बार आर्थिक सर्वे की थीम 'बाजार सक्षम बने, कारोबारी नीतियों को बढ़ावा मिले, अर्थव्यवस्था में भरोसा हो' रखी गई है। सर्वे में कहा गया है कि वैश्विक विकास दर में कमी का असर भारत पर पड़ रहा है। इसके साथ ही घरेलू वित्तीय सेक्टर में निवेश की कमी को भी देश में छाई आर्थिक सुस्ती का कारण बताया गया है। सर्वे का कहना है कि जितनी गिरावट आनी थी आ गई और अगले वित्त वर्ष से विकास दर बढ़ेगी।
अर्थव्यवस्था को फायदे के लिए सुझाए 10 नए तरीके
सर्वे में 10 ऐसे नए तरीके भी सुझाए गए हैं जिनसे भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजारों को फायदा हो सकता है। इसमें कहा गया है कि सरकार को जल्द से जल्द आर्थिक सुधार करने चाहिए क्योंकि आने वाले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने का ये एकमात्र तरीका हैं। इसके साथ ही कहा गया है कि विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार को इस साल राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से पीछे हटना पड़ सकता है।
ऐसे पैदा की जा सकती हैं 2025 तक चार करोड़ नौकरियां
सर्वे में 2025 तक चार करोड़ रोजगार पैदा करने का तरीका भी बताया गया है। इसमें कहा गया है कि 'मेक इंडिया इंडिया' में 'असेंबलिंग इन इंडिया फॉर वर्ल्ड' जैसे विचारों को शामिल करके रोजगार और निर्यात पर ध्यान देने की जरूरत है। ऐसा करने पर 2025 तक अच्छे वेतन वाली चार करोड़ और 2030 तक आठ करोड़ नौकरियां पैदा हो सकती हैं। इससे 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को भी तेजी से हासिल किया जा सकता है।
सरकार को दिए ये सुझाव
सर्वे में केंद्र सरकार को कारोबार शुरू करने, संपत्ति के पंजीकरण और टैक्स भुगतान संबंधी नियम आसान करने का सुझाव भी दिया गया है। इसके अलावा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बंदरगाहों पर लालफीताशाही खत्म करने की सलाह भी दी गई है ताकि कारोबारी माहौल आसान हो सके। वहीं सरकारी बैंकों के कामकाज में सुधार और भरोसा बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा जानकारियां सार्वजनिक की बात भी इसमें कही गई है।
कुछ ऐसे रहे पिछले साल के आंकड़े
सर्वे में पेश किए गए आंकड़ों की बात करें तो चालू खाता घाटा 2019-20 की पहली छिमाही में कम होकर GDP का 1.5 प्रतिशत रह गया। 2018-19 में ये 2.1 प्रतिशत था। वहीं महंगाई दर बढ़कर 4.1 प्रतिशत रही। 2018-19 में ये 3.7 प्रतिशत थी। 10 जनवरी, 2020 तक विदेशी मुद्रा भंडार 461.2 अरब डॉलर रहा। सर्वे में बताया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्रों के बैकों में औसतन एक रुपये के निवेश पर 23 पैसे का घाटा हुआ।