क्या डोडा आतंकी हमले में शामिल थे पाक सेना के पूर्व जवान?
15 जुलाई को जम्मू के डोडा में आतंकियों की गोलीबारी में एक पुलिसकर्मी और 4 जवान शहीद हो गए हैं। आशंका है कि हमलावर अभी भी छिपे हुए हैं, क्योंकि 2 बार सुरक्षाबलों की उनसे मुठभेड़ हुई है। आतंकियों की तलाश में अभियान अभी जारी है। इस हमले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान अपने पूर्व सैनिकों का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए कर रहा है। आइए जानते हैं डोडा हमले में इसके क्या सबूत मिले हैं।
प्रशिक्षित हमलावरों की तरह हुआ हमला- रिपोर्ट्स
न्यूज 18 से बात करते हुए एक सूत्र ने कहा, "शरीर के निहत्थे हिस्सों पर इस तरह का सटीक हमला करने और इतने लंबे समय तक जंगलों में छिपे रहने के लिए सैन्य स्तर के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।" वहीं, प्रारंभिक जांच में मिले सबूत इशारा कर रहे हैं कि डोडा के शहीदों को उन जगहों पर निशाना बनाया गया था, जो हेलमेट और बुलेटप्रूफ जैकेट में सुरक्षित नहीं रहते हैं।
हमले में पाकिस्तानी SSG के शामिल होने का शक
सुरक्षाबलों को संदेह है कि पाकिस्तान के सेवानिवृत्त नियमित सैनिक भाड़े के सैनिकों के रूप में घुसपैठ कर रहे हैं। पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध में नॉर्दर्न लाइट इंफैंट्री से अपने नियमित सेना के जवानों को भेजा था। जांच एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तानी सेना का स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) हमलों में शामिल हो सकती है। बता दें कि SSG पाकिस्तानी सेना का विशेष गुप्त अभियान दस्ता है, जिसके सैनिक सीधे इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) में भर्ती किए जाते हैं।
आतंकियों के पास से मिले विदेशी हथियार
शुरुआती जांच में पता चला है कि डोडा के आतंकवादियों ने कवच भेदी गोलियां और अमेरिका में बनी M4 कार्बाइन का इस्तेमाल किया था। M4 का इस्तेमाल अफगानिस्तान युद्ध में किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि जिस तरह से डोडा के आतंकवादियों ने बाहरी दुनिया से किसी भी तरह का संपर्क नहीं रखा और जंगलों में छिपे रहे, उससे पता चलता है कि उन्हें सैन्य स्तर का प्रशिक्षण मिला है।
डोडा हमले में शहीद हुए 5 जवान
15 जुलाई की रात डोडा शहर से लगभग 55 किलोमीटर दूर देसा वन क्षेत्र में धारी गोटे उरारबागी के जंगलों में आतंकियों ने सेना पर हमला किया था। सेना को इस इलाके में आतंकियों के होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद तलाशी अभियान चलाया गया था। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन 'कश्मीर टाइगर्स' ने ली है। 8 जुलाई को कठुआ में भारतीय सेना के काफिले पर हुए हमले की जिम्मेदारी भी इसी संगठन ने ली थी।