UN में इस्लामोफोबिया पर प्रस्ताव लाया पाकिस्तान, भारत ने सुनाई खरी-खरी
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में 15 मार्च को पाकिस्तान ने इस्लामोफोबिया से लड़ने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। भारत न सिर्फ इस प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा और बल्कि इस्लामोफोबिया की बजाय सभी धर्मों के मुद्दे को उठाया। UN मे भारत की स्थायी राजदूत रुचिरा कंबोज ने मतदान न करने को लेकर भारत का पक्ष रखा और कहा कि भारत सभी तरह के धार्मिक फोबिया के खिलाफ खड़ा है।
क्या बोला भारत?
कंबोज ने कहा, "भारत सभी धर्मों और आस्थाओं के समान संरक्षण और प्रचार के सिद्धांत को मजबूती से कायम रखता है। यह स्वीकार करना जरूरी है कि फोबिया सिर्फ इब्राहीम धर्मों तक सीमित नहीं है। ऐसे कई सबूत हैं, जिससे समझा आता है कि गैर-इब्राहीम धर्म भी इससे प्रभावित हैं। हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी तत्व भी सामने आए हैं। गुरुद्वारों, मठों और मंदिरों पर बढ़ते हमलों से स्पष्ट है कि फोबिया से अन्य धर्म भी प्रभावित हैं।"
भारत सभी धर्मों को साथ लेकर चल रहा- कंबोज
कंबोज ने कहा कि इस्लामोफोबिया का मुद्दा निस्संदेह महत्वपूर्ण है, लेकिन यह स्वीकार करना चाहिए कि अन्य धर्म भी भेदभाव और हिंसा का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "केवल इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए संसाधनों का आवंटन करना, जबकि अन्य धर्मों के सामने आने वाली समान चुनौतियों की उपेक्षा करना अनजाने में बहिष्कार और असमानता की भावना को कायम रख सकता है। ऐतिहासिक रूप से भारत सभी धर्मों को एक साथ लेकर चल रहा है।"
प्रस्ताव के पक्ष में पड़े 115 वोट, किसी ने नहीं किया विरोध
193 सदस्यीय UNGA ने पाकिस्तान द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव 'इस्लामोफोबिया से निपटने के उपाय' को स्वीकार कर लिया। प्रस्ताव के पक्ष में 115 देशों ने मतदान किया, जबकि किसी ने भी विरोध नहीं किया। भारत, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूक्रेन और ब्रिटेन सहित 44 देशों ने प्रस्ताव पर मतदान से दूरी बनाई। भारत ने कहा कि प्रस्ताव को अपनाने से ऐसी मिसाल कायम नहीं होनी चाहिए, जिससे विशिष्ट धर्मों से जुड़े प्रस्ताव भी सामने आए।
दुनियाभर में मुस्लिम विरोधी नफरत की लहर- गुटेरेस
UN के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, "दुनियाभर में हम मुस्लिम विरोधी नफरत और कट्टरता की बढ़ती लहर देख रहे हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म नफरती विचारधाराओं की उत्पत्ति स्थल बन गए हैं। इससे न सिर्फ सामाज विभाजित होता है, बल्कि हिंसा को भी बढ़ावा मिलता है। आज के वक्त में मुस्लिम विरोधी कट्टरता को खत्म करना हम सभी की जिम्मेदारी है। सरकारों को भड़काऊ भाषणों की निंदा करनी चाहिए और विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए।"
न्यूजबाइट्स प्लस
हर साल 15 मार्च को 'इस्लामोफोबिया से लड़ाई के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस' मनाया जाता है। दरअसल, 2019 में न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में 2 मस्जिदों पर हुए हमलों में 51 लोग मारे गए थे। इसके बाद 2022 में UNGA में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉन्फ्रेंस (OIC) की तरफ से एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें हर साल 15 मार्च को 'इंटरनेशनल डे टू कॉम्बैट इस्लामोफोबिया' मनाने का प्रस्ताव दिया गया था।