अब ग्रीक अक्षरों पर होंगे कोरोना वेरिएंट्स के नाम, WHO ने शुरू किया नया सिस्टम
क्या है खबर?
अलग-अलग देशों में मिल रहे कोरोना वायरस के वेरिएंट्स के नामकरण के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नया सिस्टम शुरू किया गया है।
इसके तहत वेरिएंट्स के वैज्ञानिक नामों की जगह अब ग्रीक भाषा के अक्षरों का इस्तेमाल किया जाएगा।
नए सिस्टम के तहत सबसे पहले भारत में मिले B.1.617.1 वेरिएंट को कप्पा, B.1.617.2 को डेल्टा, ब्रिटेन में मिले वेरिएंट को अल्फा और दक्षिण अफ्रीका में मिले वेरिएंट को बीटा नाम दिया गया है।
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क्यों लाया गया नया सिस्टम?
संगठन का कहना है कि नया सिस्टम बातचीत को आसान बनाने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है कि किसी वेरिएंट के साथ देश का नाम न जोड़ा जाए।
संगठन की तकनीकी प्रमुख मारिया वैन कैर्खोव ने ट्विटर पर लिखा कि कोरोना के वेरिएंट खोजने और उसकी जानकारी देने के लिए किसी भी देश को बदनाम नहीं करना चाहिए।
उन्होंने वेरिएंट की खोज के लिए वैज्ञानिक आंकड़े साझा करने और बेहतर निगरानी पर जोर दिया।
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ऐसा हुआ तो लाया जाएगा नया सिस्टम
अगर दुनियाभर में कोरोना वायरस के 24 से अधिक वेरिएंट्स की पुष्टि होती है तो उनके नामकरण के लिए नया सिस्टम लाया जाएगा। दरअसल, 24 से अधिक वेरिएंट होने पर ग्रीक के अक्षर कम पड़ जाएंगे।
कोरोना वायरस
भारत ने जताई थी आपत्ति
WHO आधिकारिक तौर पर किसी वेरिएंट के साथ देश का नाम नहीं जोड़ता है।
हालांकि, पिछले महीने की शुरुआत में जब WHO ने भारत में वेरिएंट को लेकर जानकारी दी थी, तब कुछ लोगों ने इसे भारतीय वेरिएंट बुलाया था। भारत सरकार ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इसे बिना किसी आधार के भारतीय वेरिएंट कहा जा रहा है।
बाद में सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से ऐसे पोस्ट को हटाने को कहा था।
कोरोना वेरिएंट
WHO ने दी थी सफाई
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश में सोशल मीडिया कंपनियों को कहा गया था वो अपने प्लेटफॉर्म से ऐसा सारा कंटेट हटाए, जिसमें कोरोना के इस वेरिएंट को भारतीय वेरिएंट कहा गया है। अधिकारियों का कहना था कि इससे देश की गलत छवि पेश होती है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के बाद सामने आने के बाद WHO ने सफाई जारी करते हुए कहा था कि उसने कभी भी B.1.617 वेरिएंट के लिए भारतीय वेरिएंट शब्द का इस्तेमाल नहीं किया।
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बीमारियों को भी नाम देता आया है WHO
WHO ने वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ एनिमल हेल्थ और फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर इंसानों को होने वाली बीमारियों को नाम देने की प्रक्रिया शुरू की थी।
इसका मकसद किसी बीमारी के नाम के कारण व्यापार, पर्यटन, जीव कल्याण आदि पर पड़ने वाले नकारात्मक असर को रोकना और किसी सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक, पेशेवर आदि समुदायों की भावना को आहत पहुंचाने से रोकना है।
इबोला और जीका वायरस फैलने के बाद WHO ने बीमारियों को नाम देना शुरू किया था।
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जगहों से नाम जुड़ने के कारण पड़ता है गलत प्रभाव
दरअसल, जीका और इबोला वायरस का नाम उन जगहों पर पड़ा था, जहां से ये शुरू हुए थे। इससे लोग इन जगहों को वायरस से जोड़ने लगे। दूसरा ऐसा मामला 'स्वाइन फ्लू' का है, जिससे सुअर उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ा था।
कोरोना वायरस
क्या है दुनियाभर में महामारी की स्थिति?
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक लगभग 17.05 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 35.47 लाख लोगों की मौत हुई है।
सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 3.33 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और लगभग 5.94 लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के बाद भारत दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है।
यहां अब तक 2.81 करोड़ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से लगभग 3.32 लाख को जान गंवानी पड़ी है।