वियतनाम में मिला हवा के जरिये फैलने वाला कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन
वियतनाम में कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट मिला है, जो हवा के जरिये फैलता है। यहां के स्वास्थ्य मंत्री विएन टान लॉन्ग ने बताया कि उनके देश में वायरस का नया वेरिएंट मिला है, जो हवा के जरिये पुराने वेरिएंट्स की तुलना में अधिक तेजी से फैलता है। जल्द ही इस बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। गौरतलब है कि अभी तक ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और भारत में भी नये वेरिएंट मिल चुके हैं।
ब्रिटेन और भारत में मिले वेरिएंट का मिला-जुला रूप- लॉन्ग
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, लॉन्ग ने कहा कि कोरोना संक्रमितों के सैंपल्स की जीनोम सीक्वेंसिंग में वायरस का एक नया वेरिएंट मिला है। यह भारत और ब्रिटेन में मिले वेरिएंट का मिला-जुला रूप है। उन्होंने आगे कहा कि यहां मिला वेरिएंट भारत में पाए गए वेरिएंट की तरह है, लेकिन इसके म्यूटेशन ब्रिटेन में मिले स्ट्रेन जैसे हैं। बता दें कि भारत, ब्राजील और ब्रिटेन आदि में मिले कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन अधिक तेजी से फैलते हैं।
वियतनाम में बढ़ने लगे हैं मामले
लगभग 10 करोड़ की आबादी वाला वियतनाम चीन के साथ लंबी सीमा साझा करता है। महामारी की पहली लहर में यह संक्रमण पर काबू पाने में सफल रहा था, लेकिन फिलहाल यहां मामले बढ़ रहे हैं। यहां 6,400 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 47 मौतें हुई हैं। इनमें से 3,600 मामले अप्रैल के आखिरी सप्ताह में दर्ज किए गए हैं, जिससे पता चलता है कि दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है।
श्रीलंका में मिला था हवा में रहने वाला वेरिएंट
बीते महीने श्रीलंका में भी कोरोना वायरस का एक नया स्ट्रेन पाया गया था, जो करीब एक घंटे तक हवा में रहकर लोगों को संक्रमित कर सकता है। श्रीलंका की जयवर्देनापुरा यूनिवर्सिटी में इम्यूनोलॉजी और आणविक विज्ञान विभाग की प्रमुख नीलिका मालाविगे ने बताया था कि श्रीलंका में मिला नया बेहद आसानी और तेजी से फैलता है। उन्होंने बताया कि यह एयरबोर्न है जो हवा को संक्रमित करता है और करीब एक घंटे तक हवा में बना रहता है।
कैसे बनता है वायरस का नया स्ट्रेन?
कोरोना महामारी फैलाने के पीछे SARS-CoV2 वायरस का हाथ है। वायरस के DNA में बदलाव को म्यूटेशन कहा जाता है। ज्यादा म्यूटेशन होने पर वायरस नया रूप ले लेता है, जिसे नया स्ट्रेन कहा जाता है। वायरस के नए स्ट्रेन सामने आने के कई कारण हैं। इसमें एक कारण लगातार वायरस का फैलना है। कोरोना से संक्रमित हर नया मरीज वायरस को म्यूटेट होना का मौका देता है। ऐसे में मरीज बढ़ने के साथ-साथ वेरिएंट की संभावना बढ़ जाती है।
क्यों होते हैं वायरस में म्यूटेशन?
सरल भाषा में समझें तो SARS-CoV-2 का जेनेटिक कोड लगभग 30,000 अक्षरों के RNA का एक गुच्छा है। जब वायरस इंसानी कोशिकाओं में प्रवेश करता है तो यह वहां अपनी तरह के हजारों वायरस पैदा करने की कोशिश करता है। कई बार इस प्रक्रिया के नए वायरस में पुराने का DNA पूरी तरह 'कॉपी' नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में हर कुछ हफ्तों के बाद वायरस म्यूटेट हो जाता है, मतलब उसका जेनेटिक कोड बदल जाता है।