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कोरोना वायरस से संक्रमण के बाद कितने समय नहीं रहता दोबारा संक्रमण का खतरा?

कोरोना वायरस से संक्रमण के बाद कितने समय नहीं रहता दोबारा संक्रमण का खतरा?

Jun 04, 2021
06:11 pm

क्या है खबर?

कोरोना वायरस से संक्रमण के बाद प्राकृतिक इम्युनिटी कितने समय तक रहती है, यह महामारी से संबंधित ऐसा सवाल है जो अभी तक अनसुलझा है। कुछ स्टडी में इसके जल्द खत्म होने की बात सामने आई है, वहीं अन्य स्टडी में इसके विपरीत नतीजे सामने आए। लोगों के दोबारा संक्रमित होने के मामलों ने इस सवाल को और पेचीदा किया। आइए जानते हैं कि इस सवाल पर विभिन्न स्टडीज और विशेषज्ञों का क्या कहना है।

#1

अक्टूबर में हुई स्टडी में पाई गई कम से कम पांच महीने की इम्युनिटी

अक्टूबर, 2020 में हुई एक स्टडी में सामने आया था कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद प्राप्त हुई प्राकृतिक इम्युनिटी कम से कम पांच महीने तक रहती है। इस स्टडी में कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके 6,000 लोगों के खून में एंटीबॉडीज की मौजूदगी की जांच की गई, जिसमें संक्रमण के पांच से सात महीने बाद भी खून में उच्च गुणवत्ता की एंटीबॉडीज पैदा होने की बात सामने आई।

#2, #3

लगभग एक साल तक रहती है प्राकृतिक इम्युनिटी

बीते सोमवार को नैचर जर्नल में छपे एक अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की बोन मेरो में मौजूद इम्युन सेल्स में लंबे समय (लगभग 11-12 महीने) तक संक्रमण की 'मेमोरी' रह सकती है। इसी तरह EClinicalMedicine जर्नल में प्रकाशित एक और अध्ययन में पता चला है कि महामारी को हराकर ठीक होने वाले व्यक्तियों में 10 महीने बाद भी कोरोना के खिलाफ बनी एंटीबॉडीज पाई गई थीं।

ताजा स्टडी

लोगों के दोबारा संक्रमित होने की 85 प्रतिशत कम संभावना

अब 'द लैंसेट' मे प्रकाशित एक स्टडी में सामने आया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित ज्यादातर लोगों में कम से कम 10 महीने तक इम्युनिटी रहती है। केयर होम में रहने वाले लोगों और उनके स्टाफ पर यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के वैज्ञानिकों द्वारा की गई इस स्टडी के अनुसार, पहले कोरोना से संक्रमित हो चुके केयर होम के लोगों के फिर से संक्रमित होने की 85 प्रतिशत कम संभावना रहती है।

स्टडी

स्टाफ के दोबारा संक्रमित होने की 60 प्रतिशत कम संभावना

इसी तरह केयर होम के स्टाफ के कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमित होने की 60 प्रतिशत कम संभावना रहती है। यह स्टडी में केयर होम में रहने वाले 682 लोग और 1,429 कर्मचारी शामिल थे। लोगों की औसत उम्र 86 साल थी। वैक्सीनेशन के प्रभाव को अलग करने के लिए स्टडी में वैक्सीनेशन के 12 दिन बाद लोगों को हटा दिया गया। वैक्सीन की प्रभावशीलता पर एक अलग स्टडी की जाएगी।

जानकारी

अधिक संक्रामक वेरिएंट के समय की गई थी स्टडी

शोधकर्ताओं ने कहा कि ये स्टडी उस समय की गई थी जब यूनाइटेड किंगडम (UK) में कोरोना वायरस का अधिक संक्रामक वेरिएंट सामने आया था। उन्होंने कहा कि एक बार संक्रमित होने के बाद इस वेरिएंट से भी अच्छी-खासी इम्युनिटी मिलती है।

तुलना

वैक्सीन और प्राकृतिक इम्युनिटी में से क्या बेहतर?

विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीन से मिलने वाली इम्युनिटी प्राकृतिक इम्युनिटी से बेहतर होती है और इसी कारण वे संक्रमित हो चुके लोगों को भी वैक्सीन लगवाने की सलाह देते हैं। कुछ इंसानी ट्रायल में सामने आया था कि वो संक्रमण के खिलाफ नौ महीने से अधिक समय तक सुरक्षा दे सकती हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन से मिली इम्युनिटी ज्यादा समय तक रहेगी और इसका आंकलन करने के लिए अभी और वक्त की जरूरत है।