केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, कफ सिरप निर्माताओं को निर्यात से पहले करानी होगी गुणवत्ता जांच
भारतीय कफ सिरप निर्यातकों को 1 जून से विदेश भेजने से पहले अपने उत्पादों की निर्धारित सरकारी प्रयोगशालाओं में गुणवत्ता जांच करानी होगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने कहा, "निर्यात किए जाने वाले उत्पाद के नमूने की प्रयोगशाला में जांच होने के बाद ही कफ सिरप का निर्यात करने की अनुमति मिलेगी।" केंद्र सरकार ने भारतीय फर्मों द्वारा निर्यात किए जाने वाले कफ सिरप की वैश्विक स्तर पर गुणवत्ता संबंधी शिकायतों के बाद ये निर्देश दिया है।
कहां होगी उत्पादों की गुणवत्ता की जांच?
DGFT के एक अधिकारी ने कहा कि भारत से निर्यात किए जाने वाले विभिन्न फार्मास्युटिकल उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता के कारण भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है और कफ सिरप फॉर्मूलेशन की निर्यात से पहले गुणवत्ता जांच होगी। उन्होंने कहा कि कफ सिरप के नमूनों का परीक्षण भारतीय औषधि संहिता आयोग, क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं और नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलीब्रेशन लेबोरेटरी (NABL) से मान्यता प्राप्त सरकारी औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं में किया जाएगा।
सरकार ने क्यों लिया फैसला?
बीते साल गांबिया और उज्बेकिस्तान में भारतीय कफ सिरप के सेवन के बाद 84 बच्चों की मौत हुई थी। अमेरिका में भी भारतीय आई ड्रॉप से मौतें हुई थीं। इसके कारण ही केंद्र सरकार ने निर्यात होने वाले सिरप की गुणवत्ता जांच करने फैसला लिया है। इससे पहले बिना किसी गुणवत्ता जांच के निर्यात लाइसेंस प्राप्त करने के बाद सीधे विदेशों में सिरप का निर्यात होता था, लेकिन 1 जून से अब बिना जांच के सिरप निर्यात नहीं हो पाएगा।
भारत से कितने कफ सिरप होते हैं निर्यात?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत से 17 अरब डॉलर के कफ सिरप निर्यात किए गए थे। 2022-23 में यह संख्या बढ़कर 17.6 अरब डॉलर हो गई। इसके साथ ही भारत में साल-दर-साल अन्य देशों में दवा निर्यात का कारोबार बढ़ रहा है। भारत में निर्मित दवाओं की गुणवत्ता पर वैश्विक स्तर पर सवाल उठाए जाने के बाद से ही सरकार निर्यात होनी वाले दवाओं के लिए नीति पर विचार कर रही थी।
मार्च में 18 फार्मास्यूटिकल कंपनियों के लाइसेंस हुए थे निरस्त
इससे पहले मार्च में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 18 फार्मास्यूटिकल कंपनियों के लाइसेंस को निरस्त कर दिया था। कंपनियों के खिलाफ यह कार्रवाई नकली और घटिया किस्म की दवाइयों का उत्पादन करने को लेकर की गई थी। मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय ने 26 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। कार्रवाई से पहले ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने देशभर के 20 राज्यों में 76 फार्मास्यूटिकल कंपनियों की दवाइयों की जांच की थी।