गुजरात: दाहोद और जूनागढ़ में धार्मिक स्थलों को क्यों तोड़ा गया?
गुजरात के दाहोद और जूनागढ़ में भाजपा शासित स्थानीय निकाय प्रशासन 2 स्वतंत्र परियोजनाओं के तहत अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। दाहोद में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत पिछले दिनों एक सदी पुरानी मस्जिद के अलावा मंदिर और दरगाह जैसे धार्मिक स्थलों को तोड़ गया है, जबकि जूनागढ़ में भी अतिक्रमण हटाने के नाम पर ऐसी कार्रवाई की गई है। आइए जानते हैं कि आखिर ये पूरा मामला क्या है और कार्रवाई क्यों की गई।
दाहोद में क्यों हुई कार्रवाई?
गुजरात के 6 शहरों का चयन स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत हुआ है, जिनमें दाहोद शहर भी शामिल है। यहां सड़कों को विस्तार देने के लिए अतिक्रमण हटाना जरूरी हो गया है। 19 मई को दाहोद स्मार्ट सिटी प्रशासन ने यहां एक अभियान चलाया, जिसमें एक सदी पुरानी नगीना मस्जिद, 3 दरगाह और 4 मंदिरों को ध्वस्त किया गया। इसके अलावा दाउदी बोहरा समुदाय द्वारा तीर्थयात्रियों के लिए चलाए जा रहे एक विश्राम गृह को भी तोड़ा गया है।
नगीना मस्जिद के खिलाफ क्यों हुई कार्रवाई?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नगीना मस्जिद ट्रस्ट गुजरात हाई कोर्ट में 19 मई को जमीन से संबंधित दस्तावेज पेश नहीं कर सका था, जिसके बाद ये कार्रवाई की गई। प्रशासन की इस कार्रवाई से इलाके में तनाव काफी बढ़ गया क्योंकि ध्वस्त की गई संपत्तियों के मालिकों और देखभाल करने वालों ने दावा किया कि उन्हें महज 5 दिनों का नोटिस दिया गया था। बता दें कि प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ 11 मई से अपनी कार्रवाई शुरू की थी।
कार्रवाई पर नगीना मस्जिद ट्रस्ट और प्रशासन ने क्या कहा?
नगीना मस्जिद ट्रस्ट ने दावा किया कि मस्जिद 1926 से उपयोग में है और 1954 से वक्फ की संपत्ति है। ट्रस्ट ने कहा कि मस्जिद के आसपास 6 फीट का क्षेत्र अतिक्रमण हो सकता है, लेकिन एक सदी पुरानी मस्जिद के दस्तावेज मौजूद हैं। दूसरी तरफ प्रशासन ने कहा कि दुकानों को गिराने के बाद ट्रस्ट को कोर्ट में दस्तावेज पेश करने के लिए समय दिया गया था और इसके बाद ही मस्जिद को गिराया गया।
जूनागढ़ शहर में भी तोड़ी गई दरगाह
जूनागढ़ शहर के मध्य में स्थित उपरकोट किले के पास स्थानीय प्रशासन ने नरसिंह मेहता झील के सौंदर्यीकरण की शुरुआत की है। इस झील के किनारे स्थित सदी पुरानी जंगलशाह पीर दरगाह को तोड़ा गया है। नगर निगम के नोटिस के बाद मुस्लिम ट्रस्ट ने मई के पहले सप्ताह में कोर्ट में याचिका दायर की था, जिसमें कहा गया था कि कब्रें और दरगाह एक सदी से अधिक पुरानी हैं और उन्हें अनधिकृत नहीं माना जा सकता।
ट्रस्ट की याचिका पर हाई कोर्ट ने भेजा था निगम को नोटिस
हाई कोर्ट ने मुस्लिम ट्रस्ट की याचिका के आधार पर निगम को नोटिस जारी किया था और मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को निर्धारित की है। इस बीच निगम ने पिछले सप्ताह एक नया सार्वजनिक नोटिस जारी किया कि इस ढांचे को गिरा दिया जाएगा। मुस्लिम ट्रस्ट का आरोप है कि खोडियार माता मंदिर के हिस्से और एक डेयरी की दुकान भी अतिक्रमण सूची में है, लेकिन मंदिर के गर्भगृह को नहीं तोड़ा जा रहा है।
क्या है उपरकोट किले का ऐतिहासिक महत्व?
जूनागढ़ में स्थित उपरकोट किला मौर्य साम्राज्य के समय का है, जो करीब 2,300 साल पुराना है। इस किले में बौद्ध गुफाएं और शासक महमूद बेगड़ा द्वारा 15वीं शताब्दी में बनाई प्राचीन जामा मस्जिद भी है। इसके अलावा किले के परिसर में नूरी शाह का एक मकबरा और एक चौकोर झील भी है, जिसे नवाबी झील कहा जाता है। ये सभी ऐतिहासिक विरासतें हैं, जो सभी स्थानीय लोगों के जीवन, मान्यताओं और धार्मिक आयोजनों का हिस्सा हैं।