अगले दो सप्ताह में आ सकते हैं कोरोना वायरस की दवाओं के ट्रायल के नतीजे
क्या है खबर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि उसे जल्द ही उन दवाओं के क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे मिल जाएंगे, जो कोरोना मरीजों के इलाज में प्रभावी हो सकती हैं।
संगठन के प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस अधनोम गैब्रेयसस ने मीडिया को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, "सॉलिडेरिटी ट्रायल के 39 देशों में लगभग 5,500 मरीजों को चुना गया था। हमें उम्मीद है कि अगले दो सप्ताह में इसके अंतरिम नतीजे हमारे सामने होंगेे।"
ट्रायल
ट्रायल में इन दवाओं की हो रही टेस्टिंग
सॉलिडेरिटी ट्रायल में कोरोना वायरस के इलाज के लिए संभावित दवाओं का ट्रायल किया जा रहा है।
इस ट्रायल में रेमडेसिवीर, मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन, HIV की दवा लोपिनेवीर/रिटोनेवीर, और लोपिनेवीर/रिटोनेवीर को इंटरफेरोन के साथ मिलाकर जांचा जा रहा है।
हालांकि, एक बार हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की टेस्टिंग पर रोक लग गई थी। एक स्टडी में इसे वायरस के खिलाफ लड़ाई में प्रभावी नहीं बताया गया था। बाद में उस स्टडी पर काफी विवाद भी हुआ था।
कोरोना वायरस
वैक्सीन के बारे में बता पाना नामसझी- रेयान
संगठन के आपातकालीन कार्यक्रमों के प्रमुख माइक रेयान ने कहा कि अभी यह बता पाना नासमझी होगी कि इस खतरनाक वायरस की रोकथाम के लिए वैक्सीन कब तक तैयार हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि साल के अंत तक कोई संभावित वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ अपना असर दिखा सकती है, लेकिन तब भी यह सवाल बना रहेगा कि बड़े स्तर पर इसका उत्पादन कर दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में कब तक पहुंचाया जाता है।
बचाव
WHO ने अपने प्रयासों का किया बचाव
पिछले साल चीन से शुरू हुए वायरस को रोकने के लिए गए अपने प्रयासों का बचाव करते हुए रेयान ने कहा कि उन्हें अफसोस इस बात का है कि वैश्विक सप्लाई चैन टूट गई थी, जिसके कारण मेडिकल कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरणों से वंचित रहना पड़ा।
उन्होंने कहा, "मुझे अफसोस होता है कि कोरोना वायरस के उपकरणों तक सबकी पहुंच नहीं थी। कुछ देशों के पास दूसरों से ज्यादा थे। वहीं कुछ को इनकी कमी के कारण जान गंवानी पड़ी।"
खुलासा
चीन ने नहीं दी थी कोरोना वायरस की जानकारी
दूसरी तरफ महामारी शुरू होने के लगभग छह महीने बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने माना है कि चीन ने उसे इस संक्रामक बीमारी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी। इसकी जगह WHO के चीन स्थित ऑफिस ने संगठन को इसके बारे में बताया था।
संगठन की तरफ से यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब उस पर चीन का पक्ष लेते हुए दुनिया को सही समय पर पर्याप्त जानकारी न देने के आरोप लग रहे हैं।
कोरोना वायरस
वुहान हेल्थ कमीशन की वेबसाइट से मिली थी जानकारी
बीते अप्रैल में डॉक्टर टेड्रोस ने कहा कि था कि संगठन को वायरस के बारे में पहली रिपोर्ट चीन से मिली थी, लेकिन उन्होंने इसका कोई स्त्रोत नहीं बताया था।
अब संगठन की तरफ से जानकारी मिली है कि चीन स्थित WHO के ऑफिस ने सबसे पहले 'वायरल निमोनिया' के बारे में बताया था।
इस ऑफिस को वुहान हेल्थ कमीशन की वेबसाइट पर प्रकाशित एक प्रेस नोट से इस खतरनाक संक्रामक बीमारी का पता चला था।
जानकारी
दबाव के बाद चीन ने दिया जवाब
इसके बाद WHO ने चीन पर और जानकारी के लिए दबाव बनाया। संगठन ने 1 और 2 जनवरी को चीन से जानकारी देने को कहा। बढ़ते दबाव के बीच चीन ने 3 जनवरी को संगठन को कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी दी।