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    कोरोना वायरस: आखिरकार मिली जीवनरक्षक दवा, गंभीर मरीजों की जान बचा सकती है डेक्सामेथासोन

    कोरोना वायरस: आखिरकार मिली जीवनरक्षक दवा, गंभीर मरीजों की जान बचा सकती है डेक्सामेथासोन

    लेखन प्रमोद कुमार
    Jun 17, 2020
    10:49 am

    क्या है खबर?

    एक सस्ती और आसानी से मिल जाने वाली दवा कोरोना वायरस (COVID-19) के कारण गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जान बचाने में मददगार साबित हो सकती है।

    ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने बताया कि डेक्सामेथासोन नामक दवा कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

    उनका कहना है कि अगर ब्रिटेन में यह दवा मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती तो अब तक 5,000 लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

    जानकारी

    गंभीर रूप से बीमार मरीजों के मरने के जोखिम को कम करती है डेक्सामेथासोन

    डेक्सामेथासोन वेंटिलेटर की मदद से रह रहे मरीज के मरने का खतरा एक तिहाई कम कर देती है। इसी तरह जिन मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है, उनमें पांचवे हिस्से के बराबर मरने का खतरा कम कर देती है।

    महामारी

    पांच फीसदी कोरोना संक्रमितों की ही अस्पताल में भर्ती कराए जाने की जरूरत

    कोरोना वायरस संक्रमित लगभग पांच फीसदी मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती कराए जाने की जरूरत होती है। जिन मरीजों को भर्ती किया जाता है, उनमें से भी अधिकतर ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ को ऑक्सीजन या वेंटेिलेटर की जरूरत पड़ती है।

    ऐसे मरीजों की ठीक होने में मदद करने में डेक्सामेथासोन काफी सहायक साबित हो रही है।

    इस दवा की कीमत भी काफी कम है, जिस वजह से गरीब देश भी आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

    दवा

    दशकों से होता आया है डेक्सामेथासोन का प्रयोग

    डेक्सामेथासोन का इस्तेमाल 1960 के दशक से गठिया और अस्थमा के इलाज और सूजन को कम करने के लिए किया जा सकता है।

    BBC के मुताबिक, अब ऐसा लग रहा है कि यह कोरोना वायरस से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मदद पहुंचाएगी।

    यह दवा उस ट्रायल का भी हिस्सा है जो कोरोना वायरस के खिलाफ मौजूदा दवाइयों के असर को जांचने के लिए किया जा रहा है।

    ट्रायल

    कैसे किया गया ट्रायल?

    ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती 2,000 मरीजों को डेक्सामेथासोन दी और इनकी तुलना उन 4,000 मरीजों से की गई, जिन्हें यह दवा नहीं दी गई थी।

    तुलनात्मक अध्ययन में सामने आया कि जो मरीज वेंटिलटर के सहारे जिंदा थे, उनमें इस दवा की वजह से उनके मरने का जोखिम 40 फीसदी से कम होकर 28 फीसदी हो गया।

    इसी तरह ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों में यह 25 से घटकर 20 फीसदी हो गया।

    जानकारी

    शोधकर्ताओं ने बताया बड़ी कामयाबी

    शोधकर्ताओं के प्रमुख प्रोफेसर पीटर होर्बी ने कहा, "यह अब तक एकमात्र ऐसी दवा है जो कोरोना संक्रमितों में मृत्यु दर को कम करती है। यह मृत्यु दर को काफी हद तक कम देती है। यह एक बड़ी कामयाबी है।"

    खर्च

    डेक्सामेथासोन का एक दिन का खर्च लगभग 50 रुपये

    एक और शोधकर्ता प्रोफेसर मार्टिन लैंड्रे ने कहा कि इस दवा की मदद से वेंटिलेटर की मदद से जीवित हर आठ में से एक मरीज की जान बचाई जा सकती है और जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है, उनमें से हर 20-25 मरीजों में से एक को बचाया जा सकता है।

    उन्होंने कहा कि एक मरीज पर डेक्सामेथासोन से इलाज का का खर्च रोजाना लगभग 50 रुपये पड़ता है और यह दवा हर जगह आसानी से उपलब्ध है।

    जानकारी

    हल्के लक्षण के खिलाफ कारगर नहीं दवा

    हालांकि, यह दवा उन मरीजों के लिए कारगर नहीं है, जिनमें कोरोना के हल्के लक्षण होते हैं। इसलिए लैंड्रे कहते हैं कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को ही यह दवा दी जानी चाहिए और लोगों को इसे खरीदकर घर पर रखने की जरूरत नहीं है।

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