कोलकाता: आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य संदीप घोष के खिलाफ कोलकाता पुलिस ने भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। यह मामला जून में शिकायत दर्ज होने के बाद से ही जांच के दायरे में है और राज्य की पुलिस अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है। घोष पर किस तरह की वित्तीय अनियमितताओं का आरोप है, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने SIT गठित की
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का यह मामला 2021 से जुड़ा हुआ है, जिसकी जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित की गई है। SIT महानिरीक्षक प्रणब कुमार की अध्यक्षता में जांच कर रही है, जिसमें उपमहानिरीक्षक सैयद वकार रजा, अपराध जांच विभाग (CID) के पुलिस महानिरीक्षक सोमा मित्रा दास और कोलकाता पुलिस की उपायुक्त इंदिरा मुखर्जी जैसे शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। टीम घोष के कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी।
महिला डॉक्टर की हत्या के बाद से विवाद में आया आरजी कर अस्पताल
9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में एक महिला डॉक्टर का शव मिला। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में डॉक्टर की हत्या से पहले रेप की पुष्टि हुई। उसकी आंख, मुंह, पैर, गर्दन, हाथ, कमर और निजी अंगों पर काफी चोटें थीं। मामले में पुलिस ने अस्पताल में आने-जाने वाले एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया है। फिलहाल CBI को मामले की जांच सौंपी गई है। सुरक्षा समेत कई मांगों को लेकर डॉक्टर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
घोष CBI जांच के दायरे में भी
महिला डॉक्टर की रेप और हत्या के 2 दिन बाद घोष ने मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा था कि वह सोशल मीडिया पर लग रहे आरोपों से आहत हैं। रेप और हत्या की जांच CBI को मिलने के बाद घोष जांच के दायरे में हैं। उनके कार्यों के संबंध में पिछले 4 दिनों में CBI ने लगभग 53 घंटे तक उनसे पूछताछ की है। उन पर सवाल उठ रहे हैं।
सरकार के करीबी हैं घोष
घोष को पश्चिम बंगाल सरकार का करीबी बताया जा रहा है। उनका 2 बार तबादला हो चुका है, लेकिन राजनीतिक रसूख के चलते उन्होंने दोनों बार इसे निरस्त करवा दिया। रेप और हत्या की घटना के बाद भी उन्होंने इस्तीफा दिया, लेकिन सरकार ने उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का प्रधानाचार्य बना दिया। इसका विरोध होने के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी सवाल खड़े किए और घोष की नियुक्ति पर अगले आदेश तक रोक लगा दी।