पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का 80 साल की उम्र में निधन
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन हो गया। उन्होंने 80 साल की आयु में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और दूसरी कई बीमारियों से जूझ रहे थे। उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत थी। जुलाई में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन हालत सुधरने के बाद छुट्टी कर दी गई थी। कोलकाता स्थित आवास पर ही उनका इलाज चल रहा था।
कौन थे बुद्धदेव भट्टाचार्य?
1 मार्च, 1944 को जन्मे भट्टाचार्य 2001 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के 7वें मुख्यमंत्री थे। वे 1999 से 2000 तक बंगाल के उपमुख्यमंत्री भी रहे। उन्होंने कोलकाता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कॉलेज से बंगाली साहित्य की पढ़ाई की थी और बंगाली (ऑनर्स) में BA की डिग्री ली थी। वह बाद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (CPIM) से जुड़ गए थे। वे CPIM के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रह चुके थे।
बंगाल में औद्योगिक क्रांति के लिए जाने जाते हैं बुद्धदेव
बुद्धदेव को पश्चिम बंगाल की औद्योगिक क्रांती के लिए जाना जाता है, जबकि CPIM की नीतियां मुख्य रूप से पूंजीवाद विरोधी थीं। उन्होंने पश्चिम बंगाल में नौकरी और निवेश के लिए औद्योगीकरण अभियान शुरू किया। बतौर मुख्यमंत्री उनके कार्यकाल में भूमि अधिग्रहण के कड़े विरोध और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा के आरोपों के चलते वे 2011 में चुनाव हार गए। इसके बाद पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे के 34 साल के शासन का अंत हो गया।
अपने ही मुख्य सचिव से हार गए थे चुनाव
2011 के पश्चिम बंगाल चुनाव में बुद्धदेव 16,684 वोटों से अपनी ही सरकार के पूर्व मुख्य सचिव मनीष गुप्ता से हार गए थे। मनीष को तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने टिकट दिया था। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इससे पहले वे लगातार 24 साल तक विधायक रहे थे। बुद्धदेव करीब 18 साल तक ज्योति बसु के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे और गृह मंत्रालय समेत कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों में काम किया।
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने जताया शोक
बुद्धदेव के निधन पर भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने दुख जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, 'मुझे यह जानकर बहुत दुख हुआ कि पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री श्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन हो गया है। मैं प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले।' बता दें कि खराब स्वास्थ्य की वजह से बुद्धदेव काफी समय से सार्वजानिक जीवन से दूर थे। 2015 में उन्होंने CPIM पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति से भी इस्तीफा दे दिया था।