कोरोना वायरस: उत्तरी राज्यों में दक्षिणी राज्यों से दोगुना तेजी से घट रहे नए मामले
कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी और बेहद भीषण लहर के बाद अब लगभग सभी राज्यों में नए मामले घटने लगे हैं। हालांकि उत्तरी राज्यों में ये गिरावट दक्षिणी राज्यों और महाराष्ट्र के मुकाबले अधिक है और यहां राष्ट्रीय औसत से दोगुनी से अधिक तेजी से मामले घट रहे हैं। आइए आंकड़ों के जरिए उत्तरी राज्यों और दक्षिणी राज्यों और महाराष्ट्र के बीच के इस अंतर को समझने और इसके कारणों को जानने की कोशिश करते हैं।
हरियाणा में सबसे अधिक तेजी से घटे मामले
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा में सबसे अधिक तेजी से मामले घटे हैं। 9 मई को पीक पार करने के बाद से यहां औसत साप्ताहिक मामले रोजाना औसतन 8.9 प्रतिशत की दर से घट रहे हैं। बाकी उत्तरी राज्यों में भी लगभग इसी तेजी से मामले घटे हैं और राजस्थान में 8.5 प्रतिशत, दिल्ली में 8.2 प्रतिशत, बिहार में 8.1 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 7.8 प्रतिशत और उत्तराखंड में 7.6 प्रतिशत की दर से मामले घटे हैं।
दक्षिणी राज्यों में कम तेजी से घटे मामले
दक्षिणा राज्यों की बात करें तो यहां आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक 4.2 प्रतिशत की दैनिक औसत से साप्ताहिक मामले घटे हैं। कर्नाटक में यह आंकड़ा 3.7 प्रतिशत, तेलंगाना में 3.4 प्रतिशत, केरल में 3 प्रतिशत और तमिलनाडु में 2.7 प्रतिशत रहा। महाराष्ट्र में भी मामलों में गिरावट धीमी रहा है और यहां 40 दिन पहले पीक आने के बाद से 3.3 प्रतिशत की औसत दैनिक दर से साप्ताहिक मामले घटे हैं।
एक समय पीक वाले महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में बड़ा अंतर
दोनों तरफ के राज्यों के इस बड़े अंतर को महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के उदाहरण से बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। महाराष्ट्र में 24 अप्रैल को औसत साप्ताहिक मामले 65,447 की पीक पर पहुंचे थे, वहीं उत्तर प्रदेश में भी लगभग इसी समय 35,010 का पीक आया था। अब धीमी गिरावट के कारण जहां महाराष्ट्र में लगभग 15,000 मामले सामने आ रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में दैनिक मामले गिरकर 1,742 तक आ गए हैं।
राष्ट्रीय मामलों में दक्षिणी राज्यों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत के पार
गिरावट में इस बड़े अंतर का असर ये हुआ है कि देश के दैनिक मामलों में महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों की भागेदारी 70 प्रतिशत से अधिक हो गई है। दूसरी लहर के पीक के समय इनकी भागेदारी 50 प्रतिशत से कम थी।
उत्तरी राज्यों में पकड़ में नहीं आ रहे मामले- विशेषज्ञ
विशेषज्ञों ने उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच नए मामलों में गिरावट के इस बड़े अंतर के पीछे कई कारण बताए हैं जिनमें से एक उत्तरी राज्यों में कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण कम मामले पकड़ में आना है। वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग ने कहा, "हमें देखना पड़ेगा कि तेज गिरावट दिखा रहे राज्यों में रिपोर्टिंग सिस्टम कैसा है। दक्षिणी राज्यों जैसे जिन राज्यों में अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था है, वहां मामले ज्यादा पकड़ में आते हैं।"
डॉ कांग बोले- वेरिएंट्स और सीरो पॉजिटिविटी रेट भी अहम
इसके अलावा डॉ कांग ने दो अन्य कारण भी बताए जो इस अंतर के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। उन्होंने कहा, "यह संभव है कि अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग वेरिएंट्स फैल रहे हों। इसके अलावा वायरस से संक्रमित हो चुके लोगों की सीरो पॉजिटिविटी भी देखने की जरूरत है।" अधिक सीरो पॉजिटिविटी रेट का मतलब है कि उत्तरी राज्यों में पहली लहर में अधिक लोग संक्रमित हो चुके थे, इसलिए दूसरी लहर में तेजी से मामले घट रहे हैं।