कोरोना वायरस: मौतों की संख्या के मामले में दूसरे नंबर पर गुजरात; आखिर कैसे बिगड़े हालात?
शुक्रवार की सुबह अहमदाबाद के नारनपुरा में मंगलमूर्ति अपार्टमेंट में एक समारोह का आयोजन हुआ। इसमें भाजपा समर्थित अहमदाबाद नगर निगम की मेयर बिजल पटेल ने वहां रहने वाले लोगों को तुलसी के पौधे बांटे। इस दौरान पार्टी के स्थानीय नेता भी मौजूद रहे। आम दिनों में यह सामान्य घटना होती, लेकिन अब जब देश समेत पूरी दुनिया कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रही है और भीड़ के इकट्ठा होने पर पाबंदी लागू है तब यह सामान्य नहीं है।
कंटेनमेंट जोन में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की उड़ी धज्जियां
हमने इस घटना का जिक्र इसलिए भी किया है कि जिस जगह यह समारोह हुआ, उसे कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है। यानी जिस जगह वहां के लोगों को जरूरी काम के अलावा घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है, वहां मेयर एक समारोह में शिरकत करती है। तस्वीरें देखने से पता चलता है कि समारोह में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की ऐसे धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जैसे कोरोना वायरस किसी पुराने जमाने की बात थी।
मौतों की संख्या के मामले में दूसरे नंबर पर है गुजरात
यह खबर न सिर्फ जिम्मेदार लोगों की लापरवाही है बल्कि इसलिए भी जरूरी हो जाती है कि गुजरात देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या के मामले में देश में चौथे और मौतों के मामले में दूसरे नंबर पर है। शनिवार सुबह स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात में अब तक 19,094 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 4,901 सक्रिय मामले हैं, 13,003 लोग ठीक हुए हैं और 1,190 की मौत हुई है।
"प्रशासन थकता हुआ दिख रहा"
देश में कोरोना मरीजों की मृत्यू दर 3 प्रतिशत रही है, लेकिन गुजरात में शुरू से ही यह इससे आगे थी। इसकी वजह के बारे में HCG ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के पदाधिकारी डॉक्टर भरत गढ़वी ने बीबीसी को बताया कि यहां लोग देरी से इलाज के लिए आ रहे हैं। इसलिए उन्हें बचाना मुश्किल है। साथ ही वो कहते हैं कि शुरुआती जोश के बाद अब प्रशासन थकता दिख रहा है। टेस्टिंग और आइसोलेशन प्रभावी तरीके से नहीं हो रहा।
इंतजामों को लेकर भी सरकार को लग चुकी है फटकार
गुजरात में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए अहमदाबाद के सिविल अस्पताल को सबसे बड़ा केंद्र बनाया गया है। यहां के इंतजाम को लेकर कई बार सवाल उठे हैं। यहां तक कि गुजरात हाई कोर्ट भी उस अस्पताल को कालकोठरी से बदतर बता चुका है। यहां हालात इतने खराब हो गए थे कि सरकार ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के प्रमुख डॉक्टर रणदीप गुलेरिया को अहमदाबाद और वहां के सिविल अस्पताल के दौरे पर भेजा था।
इन वजहों से हो रही गुजरात में ज्यादा मौतें
अहमदाबाद में कोरोना वायरस के कारण हुई ज्यादा मौतों के बारे में गुलेरिया ने कहा था कि लोग टेस्ट के लिए अस्पताल आने से डर रहे हैं। साथ ही देर से अस्पताल में भर्ती होने पर भी इलाज पर असर पड़ता है। कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि बाकी राज्यों की तुलना में गुजरात के लोगों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे जैसी बीमारियां ज्यादा पाई जाती हैं, जो कोरोना संक्रमण होने पर ज्यादा खतरनाक हो जाती हैं।
अहमदाबाद में हालात सबसे बदतर
गुजरात में महामारी की शुरुआत से ही अहमदाबाद और सूरत संक्रमण के हॉटस्पॉट रहे हैं। अकेले अहमदाबाद में गुजरात के कुल मामलों में से 70 प्रतिशत है। राज्य में इस खतरनाक वायरस के कारण जान गंवाने वाले अधिकतर लोग भी अहमदाबाद के थे। वहीं प्रति 10 लाख लोगों में होने वाली मौत की संख्या अहमदाबाद में सर्वाधिक है। यहां प्रति 10 लाख पर 118 लोगों की मौत हो रही है, जो दिल्ली (32) और मुंबई (83) से कहीं ज्यादा है।
इंतजामों से स्वास्थ्यकर्मियों में भी नाराजगी
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकार के इंतजाम भी नाकाफी साबित हुए हैं। स्वास्थ्यकर्मी कई बार PPE किट और सैलरी की मांग को लेकर अलग-अलग अस्पतालों में हड़ताल कर चुके हैं। पिछले महीने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के गुजरात कैंसर ऐन्ड रिसर्च इन्स्टिट्यूट में 27 नर्स और सात कर्मचारी कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए, जिसके बाद अन्य कर्मियों ने PPE किट की गुणवत्ता को लेकर हंगामा किया था।
निजी अस्पतालों और सरकार के बीच चलती रही नोंक-झोंक
मार्च में कोरोना संक्रमण का मामला सामने आने के बावजूद गुजरात सरकार और निजी अस्पतालों के साथ बातचीत सिरे नहीं चढ़ा पाई। गुजरात हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अहमदाबाद के 42 निजी अस्पतालों में 50 प्रतिशत कोरोना संक्रमितों के लिए आरक्षित किए गए। इसके साथ निजी लैब में टेस्टिंग करने की अनुमित मिलने में हुई देरी को लेकर भी निजी अस्पतालों और राज्य सरकार के बीच स्थिति सामान्य नहीं थी।
इन वजहों से भी बढ़ी मुश्किलें
अहमदाबाद में स्क्रीनिंग के दौरान लगभग 250 ऐसे संक्रमित भी मिले थे जो 'सुपर स्प्रेडर' का काम कर रहे थे। ये लोग अलग-अलग जगहों पर जाकर फल और सब्जियां बेचते थे। इनमें कोरोना वायरस का कोई लक्षण नहीं था और न ही इनके टेस्ट हुए थे। इस वजह से ये लॉकडाउन में भी कई लोगों के संपर्क में आए। वहीं सूरत और अहमदाबाद से अपने गांव गए कई लोग भी कोरोना से संक्रमित पाए गए थे।
"जितना हो सकता था सरकार ने किया, अब लोगों की बारी"
एक सवाल के जवाब में गुजरात के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री कुमार कानाणी ने कहा कि जितना बेहतर हो सकता था सरकार ने उतना किया है। सरकार के साथ-साथ अब लोगों को भी यह समझना जरूरी है कि जागरूकता के साथ काम करना जरूरी है। अब लोग जितना व्यक्तिगत तौर पर जितनी सावधानी बरतेंगे, सरकार को भी उतना ही फायदा होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने समय की जरूरत के मुताबिक कदम उठाए हैं।