इंफाल घाटी के उग्रवादी संगठन के साथ शांति वार्ता कर रही है सरकार- मुख्यमंत्री बीरेन सिंह
क्या है खबर?
मणिपुर में राज्य सरकार एक उग्रवादी संगठन के साथ 'शांति वार्ता' कर रही है।
रविवार को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने बयान में कहा कि सरकार की इंफाल घाटी शांति स्थापना को लेकर एक उग्रवादी समूह के साथ बातचीत अंतिम चरण में है।
बता दें कि 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद यह पहली बार है, जब सरकार की ओर से इस तरह की बातचीत की आधिकारिक पुष्टि हुई है।
रिपोर्ट्स
मुख्यमंत्री सिंह ने उग्रवादी समूह का नहीं लिया नाम
समाचार एजेंसी PTI से बातचीत में मणिपुर के मुख्यमंत्री सिंह ने उग्रवादी समूह से बातचीत की पुष्टि की है। हालांकि, उन्होंने भूमिगत उग्रवादी समूह का नाम नहीं लिया है।
सूत्रों का कहना है कि मणिपुर हिंसा के बाद इंफाल घाटी में शांति स्थापना के लिए उग्रवादी समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) के साथ बातचीत कर रही है।
UNLF एक मतैई समुदाय से जुड़ा उग्रवादी संगठन है, जिस पर प्रतिबंध लगाया गया है।
पत्र
विपक्षी पार्टियों नेताओं ने की प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
मणिपुर हिंसा के बाद उपजे तनाव के बीच कांग्रेस समेत 10 विपक्षी पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की मांग की है। इन पार्टियों ने प्रतिनिधियों ने इस संबंध में 17 नवंबर को एक पत्र राज्यपाल अनुसुइया उइके को सौंपा है।
विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि राज्य सरकार महीनों से जारी हिंसा का समाधान खोजने में नाकाम साबित हुई है, जिससे जनता में आक्रोश है और प्रधानमंत्री मोदी को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।
संगठन
गृह मंत्रालय ने PLA समेत 9 उग्रवादी संगठनों पर लगाया प्रतिबंध
मणिपुर में जारी सांप्रदायिक हिंसा के बीच केंद्र ने पीपुल्स लिबेरशन आर्मी (PLA) समेत 9 मैतई उग्रवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया है। इन संगठनों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत कार्रवाई हुई।
गृह मंत्रालय के अनुसार, रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (RPF), मणिपुर पीपुल्स आर्मी (MPA), पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (PREPAK), PLA और UNLF जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि ये संगठन भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा है।
हिंसा
मणिपुर में पिछले 6 महीनों से जारी है जातीय हिंसा
मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय ने मैतेई समुदाय को आदिवासी का दर्जा दिए जाने के खिलाफ एकजुटता मार्च निकाला था, जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी। तभी से दोनों समुदायों में हिंसा जारी है।
यहां बहुसंख्यक मैतेई 53 प्रतिशत हैं, जो इम्फाल घाटी में रहते हैं और आदिवासी कुकी समुदाय 40 प्रतिशत हैं, जो पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
मणिपुर हिंसा में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों बेघर हुए हैं