कोरोना वायरस के इलाज के लिए भारत में शुरू हुआ आयुर्वेदिक दवाइयों का क्लिनिकल ट्रायल
पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। सभी लोगों को एक ही इंतजार है कि इसकी दवा या वैक्सीन कब आएगी। इस कड़ी में सभी देश वैक्सीन का निर्माण करने की कोशिशों में लगे हैं, लेकिन अभी तक कोई कारगर वैक्सीन नहीं आई है। इसी बीच भारत में इस महामारी के इलाज के लिए गुरुवार से आयुर्वेदिक दवाइयों का क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गया है। यदि ट्रायल सफल होता है तो यह बड़ी कामयाबी होगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने क्लिनिकल ट्रायल को बताया ऐतिहासिक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आयुर्वेदिक दवाइयों के क्लिनिकल ट्रायल को ऐतिहासिक कदम करार दिया है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि अश्वगंधा सहित अन्य आयुष दवाओं का क्लिनिकल ट्रायल आज से शुरू हो गया है। भारत के तीनों स्वास्थ्य संस्था आयुष, स्वास्थ्य एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत ICIR और ICMR के तकनीकी सहयोग से इन दवाइयों का व्यापक स्तर पर परीक्षण किया जा रहा है। यह एक बड़ा कदम है।
संक्रमण के अधिक खतरे वाले चिकित्साकर्मियों पर किया जाएगा परीक्षण
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि इन दवाइयों का परीक्षण मुख्य रूप से उन चिकित्साकर्मी और लोगों पर किया जाएगा जो वर्तमान में संक्रमण के प्रभावित क्षेत्रों में कार्यरत है और जिनमें संक्रमण होने का खतरा सबसे ज्यादा दिखाई दे रहा है।
इन दवाओं का हो रहा क्लिनिकल ट्रायल
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि भारत की तीनो स्वास्थ्य संस्थाएं ICMR के तकनीकी सहयोग से आयुर्वेद की अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडूची पिप्पली, आयुष-64 दवाइयों का क्लिनिकल ट्रायल कर रही हैं। उन्होंने बताया कि ट्रायल के जरिये यह समझने का प्रयास किया जाएगा कि इन दवाओं की क्या भूमिका हो सकती है और इन दवाइयों का कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने में क्या योगदान हो सकता है। सफलता मिलने पर इन्हें उपचार में लाया जाएगा।
कौनसी दवा का किस बीमारी में होता है उपयोग?
आयुष मंत्रालय के अनुसार अश्वगंधा बैक्टीरिया के संक्रमण में घाव भरने, प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाने, मधुमेह, मोतियाबिंद के इलाज में काम आने के साथ शक्तिवर्धक दवा है। इसी तरह यष्टिमधु (मुलेठी) बदहजमी, पेट में सूजन, सीने में जलन, पाचन संबंधी रोगों में फायदेमंद होती है। गुडूची पिप्पली का उपयोग बुखार, गैस, कब्ज, कफ, डायबिटीज, कैंसर, आंखों संबंधी रोग, टीबी, कान की बीमारी और बवासीर जैसे रोगों के इलाज में किया जाता है।
यहां देखे डॉक्टर हर्षवर्धन का बयान
इस दवा के ट्रायल की मंजूरी भी दे चुका है ICIR
बता दें कि इससे पहले ICIR केरल के पंकजाकस्तूरी हर्बल रिसर्च फाउंडेशन की ओर से तैयार की गई जिंगीवीर-H टेबलेट के भी क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति दे चुका है। कंपनी की ओर से कहा गया था कि यह दवा श्वसन तंत्र में संक्रमण, वायरस जनित बुखार और खांसी-जुकाम के मरीजों को बड़ा आराम पहुंचाती है। इसके अलावा यह श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाने वाले वायरस और इन्फ्लूएंजा वायरस का प्रभाव रोकने में कारगर है।
भारत में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 52,952 हो गई है। इनमें से 1,783 लोगों की मौत हो चुकी है। वर्तमान में 35,902 सक्रिय मामले हैं और 15,267 लोग स्वस्थ हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।