आखिर क्यों 16.65 करोड़ राजस्व दस्तावेजों की स्कैनिंग करा रही है हरियाणा सरकार?
सरकारी कार्यालयों में पुराने दस्तावेज अमूमन फाइलों में धूल फांकते नजर आते हैं। ऐसे में कई बार सालों पुराने दस्तावेज बेकार हो जाते हैं और उनका कोई उपयोग नहीं होता है। इसी बीच हरियाणा सरकार की ओर से पुराने दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए उनका डिजिटलीकरण किया जा रहा है। इसके तहत राज्य के राजस्व कार्यालयों में पड़े करीब 16.65 करोड़ दस्तावेजों की स्कैनिंग की जा रही है। यहां जानते हैं कि आखिर किससे क्या फायदा होगा।
राजस्व कार्यालयों में पड़े हैं 1870 से पहले के दस्तावेज
हरियाणा के राजस्व कार्यालयों में साल 1870 से पहले के भी दस्तावेज पड़े हैं। ऐसे में भौतिक रूप से इन दस्तावेजों को सहेज कर रखना बहुत मुश्किल हो रहा है। इसी को देखते हुए सरकार ने सभी दस्तावेजों का डिजिटलीकरण कराने का निर्णय किया है।
हरियाणा सरकार ने दस्तावेजों के डिजिटलीकरण के लिए दिया 77 करोड़ का बजट
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार हरियाणा की मनोहरलाल खट्टर सरकार ने राज्य के सभी राजस्व कार्यालयों के रिकॉर्ड रूम को डिजिटल बनाने के लिए 77 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। इसमें से 44 करोड़ की लागत से सभी जिला मुख्यालयों पर आधुनिक राजस्व रिकॉर्ड रूम स्थापित किए जाएंगे। हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) संजीव कौशल के अनुसार आगामी दो महीनों में ये आधुनिक रिकॉर्ड रूम बनकर तैयार हो जाएंगे।
डिजिटल बॉक्स में रखे जाएंगे सभी दस्तावेज
अतिरिक्त मुख्य सचिव कौशल ने बताया कि डिजिटलीकरण का कार्य शुरू हो चुका है। इसके तहत सभी राजस्व दस्तावेजों की स्कैनिंग की जा रही है और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कैटलॉग तैयार कर उन्हें आधुनिक रिकॉर्ड रूम के डिजिटल बॉक्स में रखा जाएगा।
योजना के तहत की जा रही है 16.65 करोड़ दस्तावेजों की स्कैनिंग
अतिरिक्त मुख्य सचिव कौशल ने बताया कि भूमि जोत, स्वामित्व और किसी विशेष भूमि के शेयरधारक से जुड़े दस्तावेजों को पहले ही ऑनलाइन कर दिया गया है। नई परियोजना के तहत उन फाइलों को अपलोड किया जा रहा है जो जिला स्तर पर बैग में या फाइलों में बंद हैं। इसके तहत 16.65 करोड़ दस्तावेजों की स्कैनिंग हो रही है। उन्होंने बताया कि 92.92 प्रतिशत दस्तावेज स्कैन हो चुके हैं और 14.21 करोड़ को अपलोड भी कर दिया गया है।
इस योजना कैसे होगा जमीदारों को फायदा?
बता दें वर्तमान में किसी भी भूमि विवाद और पुराने रिकॉर्ड की आवश्यकता होने पर जमीदारों को दस्तावेजों के लिए राजस्व अधिकारियों के पीछे भागना पड़ता है। अधिकारियों के लिए भी पुराना रिकॉर्ड ढूंढना मुश्किल होता है। इससे लोगों और अधिकारियों का काफी समय खराब होता है और भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलता है। ऐसे में परियोजना के बाद जमीदारों को रिकॉर्ड के लिए कार्यालय नहीं आना पड़ेगा और वह घर बैठे एक क्लिक में ही रिकॉर्ड हासिल कर सकेंगे।
योजना से क्या है सरकार को उम्मीद?
अतिरिक्त मुख्य सचिव कौशल ने कहा कि राजस्व दस्तावेजों तक लोगों की आसान पहुंच से राजस्व विभाग और लोगों के समय और धन की बचत होगी। इसी तरह दस्तावेजों के डिजिटलीकरण से विभाग के कर्मचारियों का काम का बोझ भी कम होगा। यह योजना राजस्व की आसान उपलब्धता के बाद संबंधित अदालती मामलों के त्वरित निपटान को भी सुनिश्चित करेगी। उन्होंने बताया कि इससे योजना के बाद पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध हो सकेगा।