गलवान घाटी झड़प: चीन ने पहली बार अपने अफसर और सैनिकों के मरने की बात मानी
क्या है खबर?
चीन ने पहली बार आधिकारिक तौर पर यह बात कबूल की है कि पिछले साल भारतीय सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में उसके पांच सैन्य अधिकारी और सैनिक मारे गए थे।
अभी तक किसी भी तरह के नुकसान से इनकार करती आई चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने शुक्रवार को माना कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में उसके अधिकारी और सैनिक मरे थे।
भारत के 20 जवान इस झड़प में शहीद हुए थे।
पृष्ठभूमि
पिछले साल जून में हुई थी झड़प
बीते साल जून में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों की झड़प हो गई थी।
यह हिंसक झड़प उस समय शुरू हुई जब भारतीय सैनिक भारत की सीमा में चीनी सैनिकों द्वारा लगाए गए टेंट को हटाने गए थे।
उस दौरान चीनी सैनिकों ने पत्थर, रॉड और कंटीले तारों से हमला कर दिया था।
इस झड़प में एक कर्नल समेत भारत के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन ने अपने नुकसान की जानकारी नहीं दी थी।
कबूलनामा
चीन ने अब मानी नुकसान की बात
चीन ने शुक्रवार को पहली बार इस झड़प में अपने सैनिकों के मरने की बात मानी है।
चीनी सेना के आधिकारिक अखबार PLA डेली ने शुक्रवार को इस संबंध में रिपोर्ट प्रकाशित की है।
इसमें लिखा है कि सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) ने काराकोरम पहाड़ों में बलिदान देने वाले चीन के पांच अधिकारियों और सैनिकों की पहचान की है और उन्हें पदवियों से सम्मानित किया है।
चीन ने इन सैनिकों के नाम और उनके ब्यौरे भी सार्वजनिक किए हैं।
कबूलनामा
झड़प में कमांडर की भी मौत
रिपोर्ट के मुताबिक, इस झड़प में शिनजियांग मिलिट्री कमांड के रेजीमेंटल कमांडर क्यूई फबाओ और चार अन्य सैनिकों की मौत हुई थी। एक सैनिक की बचाव अभियान के दौरान नदी में बहने से मौत हुई।
अखबार ने लिखा है कि भारत ने बड़ी संख्या में सैनिकों को भेजा था, जो चीनी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर रहे थे। चीनी सैनिकों ने डंडो, नुकीले डंडों और पत्थरों से हमलों के बीच अपने देश की संप्रभुता की रक्षा की।
जानकारी
विदेशी सेना ने समझौते का उल्लंघन किया- अखबार
अखबार लिखता है, 'अप्रैल 2020 के बाद विदेशी सेना ने पिछले समझौता का उल्लंघन किया। वो रोड और पुल बनाने के लिए सीमा पार करने लगे और यथास्थिति बदलकर जानबूझकर उकसाया। उन्होंने उन चीनी सैनिकों पर हमला किया, जिन्हें बात करने के लिए भेजा था।'
झड़प
भारत शुरू से कहता आया था चीन को नुकसान होने की बात
भारत शुरुआत से ही इस झड़प में चीन को भारी नुकसान होने की बात कहता आया था। हालांकि, चीन ने पहले कभी भी अपने सैनिकों की मौत की बात कबूल नहीं की थी।
इसी बीच रूस की समाचार एजेंसी TASS ने दावा किया था कि गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ हिंसक झड़प में चीन के कम से कम 45 सैनिक मारे गए थे।
इसके अलावा भी कई ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं, जिनमें अलग-अलग दावे किए गए थे।
गलवान घाटी
कहां स्थित है गलवान घाटी?
गलवान घाटी विवादित क्षेत्र अक्साई चिन में है। यहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) अक्साई चीन को भारत से अलग करती है।
1962 के युद्ध में भी ये क्षेत्र जंग का प्रमुख केंद्र रहा था।
दोनों देशों के बीच तकरार भारत के दौलत बेग ओल्डी सैन्य हवाई अड्डे तक सड़क बनाने के कारण पैदा हुआ था। इस सड़क निर्माण को अवैध बताते हुए चीन अपनी सेनाएं LAC तक ले आया था।
महीनों बाद अब सेनाएं पीछे हटना शुरू हुई हैं।
समझौता
सेनाएं पीछे हटाने पर राजी हुए दोनों देश
हाल ही में भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिक पीछे हटाने का समझौता हुआ है।
इसके तहत दोनों देश अग्रिम मोर्चे पर खड़े अपने सैनिकों को चरणबद्ध तरीके से पीछे हटाएंगे।
उत्तरी किनारे पर चीन अपने सैनिकों को फिंगर आठ तक पीछे हटाएगा, वहीं भारत अपने सैनिकों को फिंगर तीन पर स्थित अपनी धन सिंह थापा पोस्ट तक पीछे हटाएगा।
दक्षिणी किनारे पर भी इसी तरह सैनिक पीछे हटाए जाएंगे।