संयुक्त राष्ट्र जेंडर एडवोकेट अवार्ड से सम्मानित होने वाली पहली भारतीय बनीं मेजर सुमन गवानी
भारतीय सेना की अधिकारी और दक्षिण सूडान (UNMISS) में संयुक्त राष्ट्र मिशन में काम करने वाली महिला शांति सेना की मेजर सुमन गवानी को प्रतिष्ठित संयुक्त राष्ट्र सैन्य जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड-2019 से सम्मानित किया जाएगा। UNMISS में शांति प्रयासों में अपने उत्कृष्ट योगदान को लेकर दिए जाने वाले इस सम्मान के लिए उनका नाम चयनित किया गया है। वह यह सम्मान प्राप्त करने वाली पहली भारतीय होंगी।
साल 2016 में हुई थी इस पुरस्कार की शुरुआत
UNMISS की ओर से साल 2016 से इस पुरस्कार की शुरुआत की गई थी। तब से लेकर अब तक किसी भी भारतीय को यह पुस्कार नहीं मिला था। यह पुरस्कार शांति अभियानों में प्रमुखों और फोर्स कमांडरों द्वारा नामित महिलाओं के संयुक्त राष्ट्र सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत सैन्य शांति सैनिकों के समर्पण और प्रयास का सम्मान करता है। ऐसे में किसी भारतीय को यह सम्मान मिलना देश के लिए बड़े ही गर्व की बात है।
ऑनलाइन समारोह में सम्मान प्राप्त करेंगी मेजर सुमन
मेजर सुमन को आगामी 29 मई को इस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। पर्व में मेजर गवानी इस सम्मान समारोह में शामिल होने के लिए न्यूयॉर्क जाने वाली थीं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण अब यह समारोह ऑनलाइन आयोजित किया जाएगा। मेजर सुमन इसी ऑनलाइन समारोह में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव गुटेरेस द्वारा यह अवार्ड हासिल करेंगी। उनके साथ ब्राजील के नौसेना अधिकारी कमांडर कार्ला मोंटेइरो डी कास्त्रो अरुजो को भी यह अवार्ड मिलेगा।
"जेंडर एडवोकेट अवार्ड मिलना बड़े सम्मान की बात"
मेजर सुमन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जेंडर एडवोकेट अवार्ड मिलना उनके लिए गर्व की बात है। पहले वह इस सम्मान को लेने के लिए न्यूयॉर्क जाने वाली थीं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण अब वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ही यह अवार्ड प्राप्त करेंगी। यह पुस्कार प्राप्त करने वाली पहली भारतीय होने का गौरव हासिल करना उनके लिए बड़ी उपलब्धि है। बता दें कि मेजर सुमन वर्तमान में दिल्ली में तैनात है।
साल 2011 में भारतीय सेना में शामिल हुई थी मेजर सुमन
बता दें कि मेजर सुमन उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के पोखर गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं और उनके तीन भाई-बहनों में से दो भारतीय सशस्त्र बलों में सेवारत हैं। मेजर सुमन साल 2011 में भारतीय सेना में शामिल हुई थीं। इसके बाद उन्होंने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से स्नातक किया और फिर सेना की सिग्नल कोर में शामिल हुईं। उसके बाद ही उन्हें UNMISS में काम करने का मौका मिला था।