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पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामला: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- हमने आगाह किया था
केंद्र सरकार ने पतंजलि मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया

पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामला: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- हमने आगाह किया था

Apr 10, 2024
02:30 pm

क्या है खबर?

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। सरकार ने कहा कि उसने पतंजलि को कोरोना वायरस महामारी के समय आगाह किया था और उससे जांच पूरी होने तक भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित न करने को कहा था। सरकार ने अपने हलफनामे में एलोपैथी और आयुष को मिलाकर एक एकीकृत चिकित्सा प्रणाली की वकालत की और कहा कि किसी भी चिकित्सा प्रणाली को नीचा नहीं दिखाया जाना चाहिए।

मामला

क्या है मामला?

27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक और झूठ दावों को लेकर पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों पर पूर्ण रोक लगा दी थी। कोर्ट ने मामले में अवमानना का नोटिस भी जारी किया था, लेकिन जब कंपनी ने इसका जवाब नहीं दिया तो कोर्ट ने इसके संस्थापक बाबा रामदेव और प्रबंधक निदेशक (MD) आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट बुलाया। आंख मूंद कर रखने के लिए कोर्ट ने केंद्र पर भी सवाेल उठाए थे और हलफलाना दाखिल करने को कहा था।

हलफनामा

जादुई उपचार के दावों के खिलाफ राज्य कर सकते हैं कार्रवाई- केंद्र

अब केंद्र ने अपना जवाब दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जादुई उपचार का दावा करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्य अधिकृत प्राधिकारी हैं, हालांकि केंद्र ने कानून के अनुसार समयबद्ध तरीके से मामले को उठाया। पंतजलि के कोविड का इलाज करने वाली कोरोनिल दवा विकसित करने के दावे पर सरकार ने कहा कि कंपनी से आयुष मंत्रालय के मामले की जांच करने तक ऐसे विज्ञापन न देने को कहा गया था।

जवाब

राज्यों को विज्ञापनों को रोकने को कहा था- केंद्र

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि एक विस्तृत अंतःविषय प्रक्रिया के बाद राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (SLP) को बताया गया था कि कोरोनिल को कोविड में केवल सहायक उपाय के रूप में माना जा सकता है। केंद्र ने यह भी कहा कि उसने कोविड के इलाज से संबंधित झूठे दावों पर सक्रियता से कदम उठाए हैं और राज्यों से आयुष से कोविड के उपचार संबंधी विज्ञापनों को रोकने को कहा गया था।

बयान

लोगों की पसंद, वे आयुष दवाएं या या ऐलोपैथिक- केंद्र

केंद्र ने कहा कि उसकी नीति आयुष को एलोपैथी के साथ मिलाकर एकीकृत स्वास्थ्य व्यवस्था की वकालत करती है और यह लोगों की पसंद पर निर्भर करता है कि वे आयुष प्रणाली की सेवाओं का लाभ लेना चाहते हैं या एलोपैथिक दवाओं का। सरकार ने कहा, "किसी चिकित्सा प्रणाली को दूसरी प्रणाली के चिकित्सकों द्वारा बदनाम करना क्योंकि उनके पास दूसरी प्रणाली की पूरी समझ नहीं है, इसको जनहित और आपसी सम्मान में हतोत्साहित किया जाना चाहिए।"