भारत न्याय संहिता समेत 3 नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से होंगे लागू, अधिसूचना जारी
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने देश में भारत न्याय संहिता समेत 3 नए आपराधिक कानून लागू करने की घोषणा कर दी है।
सरकार ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC), भारतीय न्याय संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले 3 नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से लागू होंगे।
पुराने आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले नए कानून शीतकालीन सत्र के दौरान पारित हुए थे और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इन कानूनों को हरी झंडी दे दी है।
अधिसूचना
केंद्र सरकार ने अपनी अधिसूचना में क्या कहा?
केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता विधेयक (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक (BNSS) और भारतीय साक्ष्य विधेयक (BSB) 1 जुलाई, 2024 से लागू होंगे।
आगे कहा गया है कि तीनों कानून क्रमशः IPC, CrPC और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे और नए कानूनों को 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई, जो अब केंद्र द्वारा निर्धारित तिथि से लागू होंगे।
बदलाव
IPC और CrPC की धाराओं में कितना बदलाव?
IPC में फिलहाल 511 धाराएं हैं। इसके स्थान पर BNS लागू होने के बाद इसमें 356 धाराएं होंगी। 175 धाराएं बदली जाएंगी और 8 नई धाराएं जोड़ी जाएंगी। BNS में IPC की 22 धाराओं को पूरी तरह खत्म किया गया है।
इसी तरह CrPC की जगह लेने वाले BNSS में 533 धाराएं रह जाएंगी। इसके तहत 160 धाराओं में बदलाव होगा, 9 धाराएं नई जुड़ेंगी और 9 धाराओं को पूरी तरह खत्म किया जाएगा।
राजद्रोह
नए कानून में राजद्रोह शब्द और समलैंगिकता से जुड़ी धारा भी हटी
नए कानून में राजद्रोह शब्द को हटाकर देशद्रोह किया गया है। धारा 150 के तहत देश के खिलाफ कोई भी कृत्य (लिखित, मौखिक, सांकेतिक या तस्वीर के माध्यम से) किए जाने पर 7 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा होगी।
इसके अलावा समलैंगिकता से जुड़ी IPC की धारा 377 को भी हटा दिया गया है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा के एक हिस्से को असंवैधानिक बताया था, जिसके बाद देश में समलैंगिकता अपराध नहीं रही थी।
अन्य
नए कानून में रेप और मॉब लिचिंग पर भी सख्त प्रावधान
नए कानून में रेप और बच्चों के खिलाफ अपराध से जुड़े सख्त प्रावधान किए गए हैं।
नाबालिग से रेप के मामले में आजीवन कारावास और मौत की सजा होगी, जबकि गैंगरेप के मामले में 20 साल या आजीवन सजा तक का प्रावधान है।
मॉब लिंचिंग से जुड़े अपराधों में भी मौत की सजा का प्रावधान है। अगर 5 या इससे ज्यादा लोग जाति, नस्ल या भाषा आधार पर हत्या करते हैं तो न्यूनतम 7 साल या फांसी की सजा होगी।