कोरोना वायरस: पाबंदियों का बहाना बना ऑक्सीजन सप्लाई रोकने के लिए केंद्र की राज्यों को फटकार
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सीमा पर पाबंदियों का बहाना बना ऑक्सीजन सप्लाई रोक रहे राज्यों को फटकार लगाई है और सभी राज्यों को कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित करने को कहा है। अपने पत्र में मंत्रालय ने कहा है कि अनलॉक-4 में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। इसमें कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती कोरोना वायरस के हर मरीज को ऑक्सीजन मिले, ये सुनिश्चित करना हर राज्य की जिम्मेदारी है।
केवल राज्य के अस्पतालों को ही ऑक्सीजन सप्लाई करने की शर्त लगा रहे राज्य- मंत्रालय
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे अपने इस पत्र में स्वास्थ्य सचिव ने कहा है, "1 सितंबर से शुरू हुए अनलॉक के चौथे चरण में देश में कहीं भी सीमा पर कोई भी पाबंदी नहीं है। लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय की जानकारी में आया है कि राज्य विभिन्न अधिनियमों के कुछ प्रावधानों को लगा रहे हैं और राज्य के मैन्युफैक्चरर्स और सप्लाइयर्स पर केवल राज्य के अस्पतालों को ही ऑक्सीजन सप्लाई करने की शर्त लगा रहे हैं।"
मंत्रालय ने कहा- सप्लाई रोकने से कोरोना मरीजों के इलाज पर पड़ेगा गंभीर असर
पत्र में मंत्रालय ने आगे कहा है कि मेडिकल ऑक्सीजन एक सार्वजनिक स्वास्थ्य की एक आवश्यक वस्तु है और इसकी सप्लाई में कोई भी बाधा देश के बाकी हिस्सों में कोरोना वायरस से जूझ रहे मरीजों के इलाज पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। मंत्रालय ने राज्यों को ये भी याद दिलाया है कि कुछ बड़े ऑक्सीजन मैन्युफेक्चरर्स और सप्लाइयर्स के पहले से ही अन्य राज्यों के साथ अस्पतालों से समझौते हैं और उन्हें पूरा करना उनकी कानूनी बाध्यता है।
वेंटीलेटर्स के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है ऑक्सीजन सप्लाई
बता दें कि कोरोना वायरस मरीजों के इलाज में वेंटीलेटर्स के मुकाबले ऑक्सीजन सपोर्ट ज्यादा सहायक सिद्ध हुआ है। महामारी के शुरूआती दिनों में ज्यादातर देश वेंटीलेटर्स की ओर भागे थे, लेकिन जैसे-जैसे यह साफ होता गया कि वेंटीलेटर्स के मुकाबले ऑक्सीजन सप्लाई पर चल रहे मरीजों के बचने की संभावना ज्यादा होती है, ऑक्सीजन सप्लाई का प्रयोग बढ़ता गया। भारत में भी वेंटीलेटर्स के मुकाबले ऑक्सीजन सप्लाई का ज्यादा प्रयोग हो रहा है।
इसलिए अहम है ऑक्सीजन सपोर्ट
वेंटीलेटर्स के मुकाबले ऑक्सीजन सपोर्ट पर चल रहे मरीजों के बचने की संभावना इसलिए भी ज्यादा होती है क्योंकि ऑक्सीजन सपोर्ट का प्रयोग हल्के और मध्यम रूप से बीमार कोरोना वायरस के मरीजों पर किया जाता है। भारतीय राज्य इसलिए भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर ज्यादा जोर दे रहे हैं क्योंकि शुरूआती चरण में ही इसका प्रयोग करने पर मरीजों के वेंटीलेटर पर जाने की संभावना कम हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इसकी सिफारिश की है।
अभी 3.7 प्रतिशत मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश के मौजूदा कोरोना वायरस मरीजों में से 3.7 प्रतिशत ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। वहीं देश में लगभग एक प्रतिशत कोरोना मरीजों को वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है और औसतन 3-4 प्रतिशत मरीज इंटेंसिव केयर की जरूरत होती है।