केंद्र सरकार बोली- हमने कभी राज्यों से मजदूरों से टिकट के पैसे लेने को नहीं कहा
क्या है खबर?
लॉकडाउन के कारण फंसे प्रवासी मजदूरों से ट्रेन की टिकट के पैसे लिए जाने पर खड़े हुए विवाद पर केंद्र सरकार ने कहा कि उसे कभी भी राज्यों को प्रवासी मजदूरों से टिकट के पैसे लेने को नहीं कहा।
सरकार ने कहा कि इन मजदूरों की यात्रा का 85 प्रतिशत खर्च रेलवे को उठाना है, वहीं 15 प्रतिशत खर्च राज्य सरकारों के जिम्मे आया है। हालांकि सरकार का ये दावा उसके एक पुराने सर्कुलर के विपरीत है।
पृष्ठभूमि
क्या है पूरा मामला?
पिछले हफ्ते 29 अप्रैल को केंद्र सरकार ने अपनी गाइडलाइंस में बदलाव करते हुए राज्यों को लॉकडाउन के कारण उनके यहां फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने की अनुमति दी थी। हालांकि, राज्यों को इसके लिए केवल बसों के प्रयोग की अनुमति दी गई थी।
राज्यों के बसों के जरिए ऐसा करने में कई परेशानियों का जिक्र करने के बाद केंद्र सरकार ने 'श्रमिक एक्सप्रेस' के नाम से विशेष ट्रेनें चलाने का आदेश दिया था।
शर्मनाक
मजदूरों से वसूल किए गए ट्रेन की टिकट के पैसे
केंद्र सरकार ने मजदूरों के लिए ट्रेनें तो चला दीं, लेकिन उनसे इनमें सफर का किराया वसूल किया गया।
यही नहीं, रेलवे स्लीपर सीट के हिसाब से टिकटों की कीमत लगाने के बाद उन पर 30 रुपये का सुपरफास्ट चार्ज और 20 रुपये खाने-पानी का चार्ज भी लगा रहा है।
लॉकडाउन के कारण पहले से ही मुश्किल हालातों में जी रहे इन मजदूरों से टिकट के पैसे लेने के लिए केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठे।
ऐलान
सोनिया गांधी ने कहा- कांग्रेस उठाएगी प्रवासी मजदूरों की यात्रा का खर्च
सोमवार सुबह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस के सभी प्रवासी मजदूरों की यात्रा का खर्च उठाने का ऐलान किया जिसके बाद मामले पर राजनीति तेज हो गई।
केंद्र पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, "जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को हवाई जहाजों से निशुल्क वापस ला सकते हैं, जब हम गुजरात के एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं... तो फिर मजदूरों को मुफ्त रेल यात्रा क्यों नहीं दी जा सकती?"
प्रेस कॉन्फ्रेंस
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- हमने कभी भी राज्यों से मजदूरों से पैसा लेने को नहीं कहा
अब जब कोरोना वायरस पर होने वाली दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सोनिया गांधी के इस ऐलान से संबंधित सवाल पूछा गया तो स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, "हमनें राज्यों के अनुरोध पर विशेष ट्रेनें चलाने की अनुमति दी। हम नियमों के मुताबिक खर्च को रेलवे और राज्यों के बीच 85-15 प्रतिशत के अनुपात में बांट रहे हैं। हमने कभी भी राज्यों से फंसे हुए मजदूरों से पैसे लेने को नहीं कहा।"
विरोधाभास
पुराने सर्कुलर में सरकार ने कही थी मजदूरों से किराया इकट्ठा करने की बात
लव का ये दावा केंद्र सरकार के एक पुराने सर्कुलर के विपरीत है।
NDTV द्वारा प्राप्त इस सर्कुलर में सरकार की ओर से कहा गया था, 'स्थानीय सरकारी अधिकारियों को उनके द्वारा मंजूर की गई टिकटों को यात्रियों को देना होगा और टिकटों का किराया लेना होगा और कुल रकम को रेलवे के हवाले करना होगा।'
मजदूरों को ट्रेन से उनके गृह राज्य भेजने की अनुमति देने के बाद ये सर्कुलर जारी किया गया था।