केंद्र ने हिंसाग्रस्त मणिपुर में राज्यपाल की अध्यक्षता में शांति समिति का किया गठन
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने हिंसाग्रस्त मणिपुर में दोबारा शांति स्थापित करने के लिए शांति समिति गठित की है।
राज्यपाल अनुसुइया उइके इस समिति की अध्यक्षता करेंगी, जबकि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, मंत्री, विधायक और अन्य पार्टी के नेता इसके सदस्य होंगे।
गौरतलब है कि मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है, जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा है।
समिति
शांति समिति का क्या कार्य होगा?
शांति समिति हिंसाग्रस्त मणिपुर के विभिन्न जातीय समूहों के बीच वार्ता और पक्षों के बीच बातचीत करवाएगी।
समिति विभिन्न पक्षों के बीच सामाजिक एकता और आपसी समझ को मजबूत करने के साथ-साथ विभिन्न जातीय समूहों के बीच सौहार्दपूर्ण व्यवहार को मजबूत करने की दिशा में भी काम करेगी।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने मणिपुर दौरे के दौरान शांति समिति का गठन करने की घोषणा की थी।
समिति
CBI ने भी गठित की है 10 सदस्यीय SIT
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भी हिंसा के 6 मामलों की जांच के लिए 10 सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। इसकी अध्यक्षता पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG) रैंक के अधिकारी करेंगे।
वहीं केंद्र सरकार ने भी गुजरात हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश जस्टिस अजय लांबा की अध्यक्षता में एक 3 सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति को अपनी जांच पूरी करने के लिए अधिकतम 6 महीने का समय दिया गया है।
हिंसा
मणिपुर में शुक्रवार को दोबारा भड़की थी हिंसा
बता दें कि मणिपुर में शुक्रवार को दोबारा हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक महिला समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी। वहीं एक भाजपा विधयक के घर पर एक ग्रेनेड से हमला किया गया था।
इससे पहले उपद्रवियों ने एक घायल लड़के को उसकी मां और अन्य महिला रिश्तेदार के साथ एंबुलेंस में जिंदा जला दिया था और इस दर्दनाक घटना में तीनों लोगों की जलकर मौत हो गई थी।
हिंसा
मणिपुर में एक महीने से जारी है हिंसा
मणिपुर में पिछले एक महीने हिंसा जारी है, जिसमें अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
दरअसल, मणिपुर हाई कोर्ट ने मणिपुर सरकार से गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की याचिका पर विचार करने को कहा था।
इसका कुकी आदिवासियों ने विरोध किया था और उनके एकजुटता मार्च के बाद 3 मई को हिंसा भड़क गई थी। इसके बाद से हिंसा जारी है।