कल बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में कोर्ट का फैसला, जानें अब तक क्या-क्या हुआ
लखनऊ की स्पेशल केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कोर्ट कल बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अपना फैसला सुनाएगी। मामले में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती जैसे कई बड़े नेता आरोपी हैं और इन सभी आरोपियों को कल कोर्ट में पेश होने को कहा गया है। कल कोर्ट के फैसले के साथ ही मामले में 28 साल पुराना इंसाफ का इंतजार भी खत्म हो जाएगा। चलिए जानते हैं कि इन 28 सालों में मामले में क्या-क्या हुआ।
6 दिसंबर, 1992 को गिराई गई थी बाबरी मस्जिद
राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले में आडवाणी, जोशी और भारती के अलावा पूर्व भाजपा सांसद विनय कटियार, साध्वी ऋतम्भरा, साक्षी महाराज और कल्याण सिंह समेत कुल 32 आरोपी हैं। विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अशोक सिंघल समेत आरोपियों में शामिल तीन बड़े नामों का निधन हो चुका है। मामले में रायबरेली और लखनऊ में दो अलग-अलग मामले चल रहे थे, जिन्हें 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की विशेष CBI अदालत के पास शिफ्ट कर दिया था।
अयोध्या में दर्ज की गईं पहली दो FIR
मामले में पहली दो FIR अयोध्या में दर्ज की गईं। पहली FIR में अनाम कारसेवकों के नाम और दूसरी में लालकृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत मौके पर मौजूद रहे तमाम बड़े नेताओं के नाम दर्ज किए गए। बाद में 45 FIR और दर्ज की गईं। 28 जुलाई, 2005 को आडवाणी, जोशी और भारती के अलावा पूर्व भाजपा सांसद विनय कटियार, साध्वी ऋतम्भरा, साक्षी महाराज और कल्याण सिंह समेत कुल 32 आरोपियों पर आरोप तय किए गए।
2017 तक रायबरेली और लखनऊ में चल रहे थे दो अलग-अलग मामले
मामले में रायबरेली और लखनऊ में दो अलग-अलग मामले चल रहे थे, लेकिन 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मामलों को लखनऊ की स्पेशल CBI कोर्ट के पास शिफ्ट कर दिया और तभी से यह कोर्ट सभी मामलों पर एक साथ सुनवाई कर रही है।
आडवाणी ने 24 जुलाई को दर्ज कराया था अपना बयान
28 साल पुराने इस मामले में CBI आरोपियों के खिलाफ 351 गवाह और लगभग 600 दस्तावेज पेश कर चुकी है। आरोपियों में शामिल 92 वर्षीय आडवाणी ने 24 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट के सामने मामले में अपना बयान दर्ज कराया था। वहीं मुरली मनोहर जोशी ने इससे एक दिन अपने बयान दर्ज कराया था। दोनों ही नेताओं ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया था।
बार-बार बढ़ी है मामले में फैसले की डेडलाइन
मामले में सुप्रीम कोर्ट कई बार CBI कोर्ट को फैसला सुनाने की डेडलाइन दे चुकी है, लेकिन हर बार इस डेडलाइन को आगे बढ़ाना पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने सबसे पहले अप्रैल, 2017 में CBI कोर्ट को दो साल के अंदर फैसला सुनाने का आदेश दिया था। इसके बाद जुलाई, 2019 में इस डेडलाइन को नौ महीने बढ़ाकर अप्रैल, 2020 और फिर अप्रैल से 31 अगस्त कर दिया गया। अब इस डेडलाइन के भी एक महीने बाद फैसला आएगा।
अयोध्या जमीन विवाद से अलग है मामला
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला अयोध्या जमीन विवाद से अलग है जिसमें पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनाने का आदेश दिया था। वहीं उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने को कहा था। प्रधानमंत्री 5 अगस्त को मंदिर की नींव भी रख चुके हैं।