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कर्नाटक में कोरोना संक्रमण से ठीक हुए 300 लोगों की ब्लैक फंगस से हुई मौत
कर्नाटक में ब्लैक फंगस से हुई 300 लोगों की मौत।

कर्नाटक में कोरोना संक्रमण से ठीक हुए 300 लोगों की ब्लैक फंगस से हुई मौत

Jul 12, 2021
02:15 pm

क्या है खबर?

देश में कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों के लिए जानलेवा बने म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस ने अकेले कर्नाटक में ही 300 लोगों की जान ले ली। ये सभी कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद इसकी चपेट में आए थे। इनमें से 100 से अधिक मौतें तो राजधानी बेंगलुरु से हुई हैं। बता दें कि ब्लैक फंगस एक दुर्लभ और संभावित घातक फंगल संक्रमण है। यह इस साल की शुरुआत में महामारी की दूसरी लहर में उभरा था।

विवरण

कर्नाटक में 9 जुलाई तक सामने आए ब्लैक फंगस के 3,491 मामले

बता दें कि कर्नाटक में 9 जुलाई तक ब्लैक फंगस के कुल 3,491 मामले सामने आ चुके थे। इस बीमारी में मृत्यु दर 8.6 प्रतिशत रही है। शहरी बेंगलुरु में ब्लैक फंगस के सबसे अधिक 1,109, धारवाड़ 279, विजयपुरा 208, कलबुर्गी 196 और बेलागवी में 159 मामले सामने आए हैं। इसी तरह राज्य में ब्लैक फंगस से सबसे अधिक 23 मौतें कलबुर्गी में हुई है। दक्षिण कन्नड़ क्षेत्र में 20 लोगों ने इस बीमार के कारण दम तोड़ा है।

ब्लैक फंगस

क्या होता है म्यूकरमायकोसिस या ब्लैक फंगस?

अमेरिका की सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार म्यूकरमायकोसिस या ब्लैक फंगस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है। यह म्यूकर फंगस के कारण होता है जो मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्ज़ियों में पनपता है। CDC के अनुसार यह फंगस मिट्टी के साथ हवा और यहां तक कि स्वस्थ इंसान की नाक और बलगम में भी पाई जाती है। यह फंगस साइनस, आंख, दिमाग़ और फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।

खतरा

कोरोना संक्रमण से ठीक हुए लोगों को है सबसे अधिक खतरा

ब्लैक फंगस का सबसे अधिक खतरा कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों में पाया जा रहा है। इसी तरह यह रोग प्रतिरोधक क्षमता कम करने वाली बीमारियों से ग्रसित लोगों में भी हो सकता है। इसके प्रमुख लक्षण चेहरे के एक हिस्से में सूजन, सिरदर्द, नाक में संक्रमण, नाक या मुंह के ऊपरी हिस्से पर काले घाव, बुखार, खांसी, छाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी, आंखों में सूजन और दर्द, पलकों का गिरना, धुंधला दिखना, अंधापन आदि हैं।

जानकारी

स्टेरॉयड के अधिक उपयोग और मधुमेह रोगियों में रहता है अधिक खतरा

विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना मरीजों में स्टेरॉयड का अधिक उपयोग और ऑक्सीजन थेरेपी ह्यूमिडिफायर में दूषित पानी का इस्तेमाल ब्लैक फंगस का कारण हो सकता है। इसी तरह मधुमेह के रोगियों में भी इसका बहुत अधिक खतरा अधिक रहता है।

चुनौतियां

दवा की कमी के कारण हुई सबसे ज्यादा मौतें

बता दें राज्य में ब्लैक फंगस से सबसे अधिक मौतें मई और जून की शुरुआत में हुई थी। उस दौरान ब्लैक फंगस के उपचार में काम आने वाले लिपोसोमल एम्फोटेरिसीन बी इंजेक्शन की भारी कमी थी। टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया कि उस अवधि के दौरान, रोगियों को 2-3 दिनों में दवा की एक खुराक दी गई थी, जबकि इसके उपचार के नियमों के अनुसार मरीज को प्रति दिन 5-7 खुराक की सिफारिश की गई थी।

जानकारी

देशभर में सामने आए ब्लैक फंगस के 40,000 से अधिक मामले

जून के अंत में केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में ब्लैक फंगस के कुल 40,845 मामले सामने आए थे। सरकार के डाटा के अनुसार उस समय ब्लैक फंगस संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या 3,129 थी।

संक्रमण

भारत में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति

भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 37,154 नए मामले सामने आए और 724 मरीजों की मौत हुई। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 3,08,74,376 हो गई है। इनमें से 4,08,764 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामलों की संख्या कम होकर 4,50,899 रह गई है। देश में बीते कई हफ्तों से कोरोना मामलों में गिरावट आ रही है और हालात बेहतर हो रहे हैं।