कोरोना: बेंगलुरू में हालात सुधारने के लिए 'मुंबई मॉडल' लागू, वार्ड स्तर पर बनेंगी समितियां
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण बेंगलुरू में हालात भयावह बने हुए हैं। यहां कोरोना के तीन लाख से अधिक सक्रिय मामले हैं, जिसके चलते मरीजों को अस्पतालों में बिस्तर और ऑक्सीजन मिलने में मुश्किल आ रही है। हालात सुधारने के लिए अब प्रशासन ने यहां 'मुंबई मॉडल' अपनाते हुए वार्ड के स्तर पर समितियां बनाने का फैसला किया है ताकि कोरोना संक्रमितों को समय पर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया जा सके।
BBMP के 198 वार्डों में बनेगी समिति
शनिवार को सरकार की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है अयोग्य तंत्र के चलते कोरोना संक्रमित व्यक्ति की पहचान से लेकर अस्पताल में उसके भर्ती होने तक 12 घंटे की देरी हो जाती है। इस परेशानी से पार पाने के लिए राज्य सरकार ने बृह्त बेंगलुरू महानगर पालिका (BBMP) को अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी 198 वार्डों में वार्ड डिसेंट्रलाइज्ड ट्राइएज एंड इमरजेंसी रिस्पॉन्स (वार्ड DETER) समिति बनाने का आदेश दिया है।
कलर कोडिंग का किया जाएगा इस्तेमाल
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, ये समितियां कलर कोडिंग का इस्तेमाल कर मरीजों को तय समय पर इलाज दिलाने में मदद करेगी। इसका मतलब है कि मरीजों की हालात के हिसाब से उन्हें अलग-अलग कलर कोड में बांटा जाएगा। सबसे पहले लाल और उसके बाद पीले कलर कोड वाले मरीजों को अस्पताल और देखभाल केंद्रों में भर्ती कराया जाएगा। इन समितियों में शामिल टीमें उन मरीजों के पास भी जाएंगी, जिनका घर पर इलाज किया जा सकता है।
"तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए लागू किया गया मुंबई मॉडल"
ये समितियां अपने वार्डों पर कड़ी नजर रखेगी और सुनिश्चित करेगी कि अगर किसी को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है तो उसे दो घंटे के भीतर सिलेंडर मिल जाए। इसके अलावा अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों का बेहतर प्रबंधन भी इनकी जिम्मेदारी होगी। राज्य सरकार में मंत्री अरविंद लिंबावली ने कहा कि मुंबई को समितियों की सहायता से मामले कम करने में मदद मिली थी। तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए बेंगलुरू में यह मॉडल लागू किया गया है।
सरकारी अधिकारी और नागरिक होंगे समिति में शामिल
सरकार की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि गंभीर रूप से संक्रमित व्यक्ति को 10 दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल जानी चाहिए और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से कोविड देखभाल केंद्र भेज दिया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो सरकार को इसका कारण बताना होगा। वार्ड नोडल अधिकारियों को इन समितियों का प्रमुख बनाया जाएगा और इसमें सरकारी अधिकारी और नागरिक समाज के लोग शामिल होंगे।
इन समितियों के और क्या काम होंगे?
बेहतर प्रबंधन के साथ-साथ ये समितियां टेस्ट के नतीजे जल्दी देने, लोगों में डर का माहौल कम करने, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों की ट्रेसिंग करने और अधिक से अधिक वैक्सीन लगाने के लिए भी काम करेगी।
बेंगलुरू और कर्नाटक में संक्रमण की क्या स्थिति?
बेंगलुरू (शहरी) जिले में बीते दिन कोरोना के 21,534 नए मामले सामने आए और 285 मौतें हुईं। इसी के साथ यहां कुल संक्रमितों की संख्या 9,29,996 हो गई है। इनमें से 3,44,754 सक्रिय मामले हैं, 5,77,465 लोग ठीक हुए हैं और 7,776 लोगों की मौत हुई है। वहीं पूरे कर्नाटक की बात करें तो शनिवार को 47,563 लोगों को संक्रमित पाया गया और 482 मरीजों की मौत हुई। यहां कुल मामले 18,86,448 हो गए हैं और 18,286 मौतें हुई हैं।