मेडिकल कचरे के कारण 23 राज्यों में कोरोना संक्रमण तेज होने का खतरा- अध्ययन
कोरोना वायरस महामारी के चलते देश में मेडिकल कचरे की मात्रा में भारी इजाफा हुआ है। सही तरीके से इसका निस्तारण न किए जाने के कारण 23 राज्यों में कोरोना संक्रमण तेज होने का डर बना हुआ है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंस (IIPS) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन में कहा गया है कि देश के कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस कचरे के निस्तारण के लिए उचित कदम नहीं उठा रहे हैं।
कचरे के हिसाब से नहीं बढ़ी निस्तारण का सुविधा- अध्ययन
IIPM के अध्ययन में सामने आया कि कोरोना संकट के चलते देश में जिस हिसाब से मेडिकल कचरा बढ़ा है, उस हिसाब से उसके प्रबंधन के लिए कदम नहीं उठाए गए। वेस्ट मैनेजमेंट एंड रिसर्च नामक जर्नल में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में बताया गया है कि 23 राज्य जमीन खोदकर उसमें कचरा दबा रहे हैं, जबकि केंद्र ने इस तरीके पर रोक लगाई हुई है। अध्ययन में कहा गया है कि इससे कोरोना संक्रमण तेज होने का खतरा है।
कई राज्यों में कचरा प्रबंधन की व्यवस्था बेहद खराब- अध्ययन
इस अध्ययन में बताया गया है कि देश के 70 प्रतिशत राज्यों के पास कॉमन बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी पर नजर रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। केवल 12 राज्य ऐसे हैं, जिन्होंने नए निस्तारण मानकों के तहत इन फैसिलिटीज को अपग्रेड किया है। देशभर में अभी ऐसी लगभग 200 फैसिलिटीज हैं, लेकिन कचरे की मात्रा को देखते हुए यह संख्या अपर्याप्त है। महामारी ने इन फैसिलिटीज पर दबाव और बढ़ा दिया है।
इन राज्यों में होता है सबसे ज्यादा मेडिकल कचरा
अध्ययन में दिए गए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, गुजरात और दिल्ली में देश का 70 प्रतिशत मेडिकल कचरा पैदा होता है। आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल जून से लेकर दिसंबर तक देश में 32,996 मीट्रिक टन कोविड मेडिकल कचरा पैदा हुआ था। महाराष्ट्र में इस दौरान सबसे ज्यादा 5,000 मीट्रिक टन से अधिक कचरा पैदा हुआ था। उसके बाद केरल, गुजरात और तमिलनाडु का नंबर था।
किन चीजों को माना जाता है कोविड मेडिकल कचरा
कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान इस्तेमाल होने वाली हर चीज, जैसे सुई, रूई, पट्टी, खाली बोतलें, शाशियां, मास्क, दस्ताने और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) आदि को कोविड कचरा माना जाता है और ये बायो मेडिकल कचरे की श्रेणी में आता है। भारत में कोरोना से संबंधित कचरे के निपटारे के लिए CPCB ने गाइडलाइंस जारी की हुई हैं। CPCB ने आइसोलेशन वार्ड और क्वारंटाइन केंद्रों के लिए अलग-अलग गाइडलाइंस जारी की हैं।
कचरा इकट्ठा करने के लिए अलग वाहन जरूरी
गाइडलाइंस के मुताबिक, प्रशासन को कोरोना वायरस से संबंधित कचरा इकट्ठा करने के लिए एक अलग वाहन इस्तेमाल करना होगा और हर यात्रा के बाद इन्हें सोडियम हाइपोक्लोराइट या अन्य किसी केमिकल डिसइंफेक्टेंट से सैनिटाइज करना होगा। घर-घर से कचरा उठाने के लिए कर्मचारियों की एक अलग टीम बनाने को भी कहा गया है। इस टीम को सैनिटाइजेशन और बायोमेडिकल कचरा इकट्ठा करने से संबंधित सभी सावधानियों की ट्रेनिंग प्रदान करनी होगी।
ऐसे करना चाहिए मास्क और दस्तानों का निपटारा
फेस मास्क और दस्तानों से संंबधित गाइडलाइंस में इन्हें काट कर एक कागज के थैले में रखने और इसके बाद ही कूड़ेदान में डालने को कहा गया है। CPCB के मुताबिक, यह जरूरी नहीं कि ये मास्क और दस्ताने संक्रमित व्यक्ति ने ही इस्तेमाल किए हों, आम लोग भी इस तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि इस कचरे को घर के आम कचरे में मिलाने से पहले 72 घंटे कागज के थैले में रखना जरूरी है।