डोकलाम विवाद पर भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा- चीन का बराबर अधिकार; भारत की चिंता बढ़ी
डोकलाम विवाद को लेकर भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने एक बयान ने भारत सरकार की चिंता बढ़ा दी है। शेरिंग ने कहा है कि डोकलाम की स्थिति का समाधान खोजने में चीन का भी समान अधिकार है और भारत, भूटान और चीन इस मुद्दे को साथ बैठकर हल कर सकते हैं। बेल्जियम में एक अखबार को दिये इंटरव्यू में शेरिंग ने डोकालाम विवाद के समाधान को लेकर यह बात कही है।
तीनों देश मिलकर डोकलाम विवाद का निकाले हल- भूटान
भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग ने कहा, "डोकलाम विवाद का हल भारत, भूटान और चीन तीनों देशों को मिलकर निकालना होगा। सभी देश समान हैं और कोई भी बड़ा या छोटा देश नहीं है।" उन्होंने कहा, "भारत को लगता है कि विवादित क्षेत्र में चीन ने कब्जा कर लिया है, लेकिन डोकलाम की स्थिति को लेकर भूटान तैयार है। जैसे ही अन्य दो पक्ष भी तैयार हों, हम इस पर चर्चा कर सकते हैं।"
भूटानी प्रधानमंत्री बोले- सीमा विवाद सुलझाने का कर रहे हैं प्रयास
भूटानी प्रधानमंत्री शेरिंग ने कहा कि जनवरी में चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद को लेकर एक समझौते के प्रयास हुए थे। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने अब तक 20 से अधिक दौर की वार्ता की है और वह 'सकारात्मक सहमति' पर पहुंचने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन के साथ कोई बड़ा सीमा विवाद नहीं है, लेकिन कुछ क्षेत्र में सीमांकन नहीं हुआ है और जल्द किसी नतीजे पर पहुंचा जाएगा।
भूटान के प्रधानमंत्री ने पहले दिया था इसके विपरीत बयान
डोकलाम विवाद को लेकर भूटान के प्रधानमंत्री का यह बयान 2019 में दिये बयान के बिल्कुल उलट है। तब द हिंदू को दिये एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "तीनों देशों को विवादित क्षेत्र (ट्राई-जंक्शन प्वाइंट) पर कुछ भी एकतरफा नहीं करना चाहिए।"
क्या है डोकलाम का मुद्दा?
डोकलाम एक विवादित पहाड़ी इलाका है, जिस पर चीन और भूटान दोनों ही अपना दावा जताते हैं। डोकलाम पर भूटान के दावे का भारत समर्थन करता है। जून, 2017 में जब चीन ने यहां सड़क निर्माण का काम शुरू किया तो भारतीय सेना ने उसे रोक दिया था। 72 दिनों के गतिरोध के बाद दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे थे। भारत की दलील है कि चीन जिस सड़क का निर्माण करना चाहता है, उससे सुरक्षा समीकरण बदल सकते हैं।
भारत के लिए क्यों अहम है डोकलाम?
चीन 'वन बेल्ट, वन रोड' (OBOR) परियोजना के तहत डोकलाम इलाके में सड़क निर्माण करना चाहता है, लेकिन डोकलाम पर चीन का कब्जा सुरक्षा और रणनीतिक नजरिये से भारत के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। अगर चीन डोकलाम पर कब्जा कर लेता है तो चीनी सेना इसका इस्तेमाल भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करने के लिए कर सकते हैं। सिलगुड़ी कॉरिडोर पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ता है और उनके बीच एकमात्र लिंक है।
क्या है चीन की मंशा?
डोकलाम में बटांग ला नामक एक ट्राई-जंक्शन प्वाइंट है, जिसके उत्तर में चीन, दक्षिण और पूर्व में भूटान और पश्चिम में भारत है। चीन की कोशिश रहती है कि वह ट्राई-जंक्शन को बटांग ला से लगभग 7 किलोमीटर दक्षिण में भूटान की तरफ माउंट जिपमोची नाम की चोटी पर शिफ्ट कर दे। ऐसा होने पर पूरा डोकलाम कानूनी रूप से चीन का हिस्सा बन जाएगा और वह भारत के सिलगुड़ी कॉरिडोर पर सीधे हमले की स्थिति में पहुंच जाएगा।
क्या कहते हैं रक्षा विशेषज्ञ?
2017 में डोकलाम विवाद के समय सैन्य कमांडर रहे सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी ने कहा, "ट्राई-जंक्शन प्वाइंट को स्थानांतरित करने का चीन का कोई भी प्रयास भारतीय सशस्त्र बलों को अस्वीकार्य होगा।" उन्होंने कहा कि पश्चिमी भूटान के कुछ हिस्सों के अंदर चीन की निर्माण गतिविधियां निश्चित रूप से भारत की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय हैं और चीन लगातार यशास्थिति बदलने का प्रयास जारी रखे हुए है।