सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में आज भारत बंद, जानिए कहां-कहां दिखा असर
सुप्रीम कोर्ट के कोटे में कोटा को लेकर दिए गए फैसले के खिलाफ आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने बुधवार 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है। इसका सबसे अधिक असर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में दिखाई दे रहा है, जबकि दिल्ली के सभी बाजार खुले रहने की बात सामने आ रही है। इस भारत बंद को बहुजन समाज पार्टी (BSP) और समाजवादी पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया है।
कहां दिख रहा भारत बंद का असर?
दिल्ली में चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के पदाधिकारियों का कहना है कि उनसे किसी ने भी भारत बंद के लिए समर्थन नहीं मांगा है, इसलिए दिल्ली में कोई बाजार बंद नहीं होगा। पदाधिकारियों ने बताया कि उन्होंने 100 से अधिक बाजारों के संगठनों से इस विषय पर चर्चा की थी, जिन्होंने बंद का समर्थन नहीं किया। बंद का असर बैंकों और सार्वजनिक परिवहन की सेवाओं पर भी दिखा। बिहार में रेल रोकी गई, जबकि झारखंड में चक्का जाम है।
बिहार और ओडिशा में दिखा असर
इस भारत बंद का सबसे अधिक असर बिहार और ओडिशा में देखने को मिला है। बिहार के दानापुर में लोगों ने सड़कों पर आगजनी कर प्रदर्शन किया। राजस्थान के जिलों जयपुर, अलवर, दौसा, सवाई माधोपुर, डीग, जैसलमेर और भरतपुर में शैक्षणिक संस्थान बंद किये गए हैं। भारत बंद के कारण कोटा विश्वविद्यालय की परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गई हैं। राजधानी दिल्ली के भी कई इलाकों में प्रदर्शन की वजह से सड़कों पर जाम लगा है।
भारत बंद का असर
सुप्रीम कोर्ट के किस फैसले के विरोध में बंद?
2004 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि SC की उप-श्रेणी नहीं बनाई जा सकती। कोर्ट ने ये भी कहा था कि राज्यों के पास ये करने का अधिकार नहीं और केवल राष्ट्रपति ये अधिसूचित कर सकते हैं। अब कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है। अब कोर्ट ने राज्यों को ये अधिकार दिया है कि वे SC और ST के उत्थान के लिए उप-श्रेणियां बनाकर कोटे के अंदर कोटा बना सकती है।
भारत बंद बुलाने वालों की क्या है मांग?
बंद का आह्वान करने वाली समितियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दलित-आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को खतरा है और मौजूदा आरक्षण प्रणाली के मूल सिद्धांतों को कमजोर करता है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि केंद्र सरकार इस फैसले की समीक्षा करे या इसे पलट दे। साथ ही सरकारी नौकरियों में SC, ST और OBC कर्मचारियों के लिए जाति आधारित आंकड़े जारी करे ताकि भागीदारी सुनिश्चित हो। उन्होंने भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना की मांग भी की।