रेलवे की यात्रियों का डाटा बेचकर 1,000 करोड़ कमाने की योजना, खड़ा हुआ गोपनीयता का मुद्दा
भारतीय रेलवे ने यात्रियों और माल ढुलाई से जुड़े ग्राहकों का डाटा बेचकर 1,000 करोड़ रुपये कमाने की तैयारी की है। इसके लिए रेलवे ने सलाहकारी सेवाएं लेने के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है। हालांकि, रेलवे की इस योजना से यात्रियों के डाटा की गोपनीयता भंग होने का मुद्दा खड़ा हो गया है और इसका विरोध भी किया जा रहा है। इसको देखते हुए रेलवे के इस योजना को वापस लेने के भी संभावना जताई जा रही है।
क्या है रेलवे की योजना?
रेलवे की ओर से सलाहकारी सेवा के लिए जारी किए टेंडर के अनुसार, चुने जाने वाला सलाहकार भारतीय रेल की खानपान, टिकटिंग एवं पर्यटन इकाई (IRCTC) के मौजूदा व्यवसाय को बेहतर बनाने के तरीकों के बारे में सलाह देगा। इसके अलावा भविष्य में पैदा होने वाले अवसरों से राजस्व अर्जित करने के लिए योजना बनाएगा। इसी तरह रेलवे की ओर से सलाहकार को रेल उपभोक्ताओं के व्यवहार से जुड़े अहम आंकड़े भी मुहैया कराए जाएंगे।
सलाहकार को दिया जाएगा यह डाटा
रेलवे की ओर से सलाहकार को सवारियों की संख्या, यात्रा की श्रेणी, यात्रा की संख्या, यात्रा में लगने वाले समय, नाम, उम्र, जाति, लिंग, मोबाइल नंबर, पता, ईमेल आईडी, भुगतान का तरीका और बुकिंग के पसंदीदा तरीकों की जानकारी भी मुहैया कराई जाएगी। इसी तरह उसे यात्री, माल और पार्सल व्यवसायों जैसे यात्री आरक्षण प्रणाली, अगली पीढ़ी की ई-टिकटिंग प्रणाली, अनारक्षित टिकट प्रणाली, रेल मदद के साथ विक्रेता डाटा की निगरानी का भी काम सौंपा जाएगा।
कौनसा डाटा बेच सकता है रेलवे?
रेलवे सूत्रों के अनुसार, सलाहकार इन सभी डाटा में से यात्रा की श्रेणी, यात्रा की संख्या, यात्रा समय, बुकिंग समय, नाम, उम्र, जाति, लिंग, पता, ईमेल आईडी, भुगतान मोड, गंतव्यों की संख्या और बुकिंग मोड जैसा डाटा बेचकर राजस्व कमाने की सलाह दे सकता है।
टेंडर निकालने के पीछे क्या है रेलवे का उद्देश्य
रेलवे सूत्रों के अनुसार, इस पूरी कवायद का उद्देश्य IRCTC के लिए उसके डाटा बेस का फायदा उठाना है ताकि बाजार में उसकी स्थिति का फायदा राजस्व के रूप में उठाया जा सके। रेलवे को अपनी डिजिटल संपत्तियों के मुद्रीकरण से 1,000 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाए जाने की संभावना बन रही है। बता दें कि वर्तमान में 10 करोड़ से भी अधिक लोग IRCTC का इस्तेमाल करते हैं और इनमें से 7.5 करोड़ सक्रिय उपयोगकर्ता हैं।
रेलवे की योजना का शुरू हुआ विरोध
डिजिटल अधिकारों और स्वतंत्रता के पक्षधर और दिल्ली स्थित गैर-सरकारी संगठन (NGO) इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने रेलवे की इस योजना पर चिंता जताते हुए विरोध किया है। उसका कहना है कि रेलवे अपने यात्रियों और माल ढुलाई उपभोक्ताओं के संबंध में जुटाए गए डाटा को अपनी कमाई के लिए इस तरह बेच नहीं सकता है। इसी तरह अन्य संगठनों ने भी आवाज उठाई है। इसके बाद रेलवे पर योजना को वापस लेने का दबाव बढ़ गया है।
वापस ली जा सकती है योजना
रेलवे ने आधिकारिक तौर पर तो कोई बयान नहीं दिया, लेकिन उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि डाटा संरक्षण विधेयक को अंतिम रूप नहीं देने से रेलवे के इस योजना को वापस लेने के आसार हैं। सूत्रों का कहना है कि IRCTC न तो अपना डाटा बेचता है और न ही उसका ऐसा कोई इरादा है। सलाहकार की सेवाएं IRCTC के मौजूदा कारोबार में सुधार लाने और भावी कारोबार के लिए रणनीतियां बनाने के लिए ली जा रही है।