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    मुस्लिम महिलाएं तलाक होने पर गुजारा भत्ता पाने की हकदार- सुप्रीम कोर्ट
    सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं को तलाक के बाद गुजारा भत्ता पाने का हकदार बताया

    मुस्लिम महिलाएं तलाक होने पर गुजारा भत्ता पाने की हकदार- सुप्रीम कोर्ट

    लेखन गजेंद्र
    Jul 10, 2024
    11:38 am

    क्या है खबर?

    सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय में तलाक के बाद महिलाओं को गुजारा भत्ता पाने का हकदार बताया है।

    न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बुधवार को मुस्लिम व्यक्ति अब्दुल समद की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।

    याचिकाकर्ता ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत अपनी तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के तेलंगाना हाई कोर्ट के निर्देश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

    सुनवाई

    क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

    लाइव लॉ के मुताबिक, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 धर्मनिरपेक्ष कानून पर हावी नहीं होगा। दोनों न्यायमूर्ति ने अलग-अलग, लेकिन एकमत निर्णय सुनाया।

    न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, "हम इस निष्कर्ष के साथ आपराधिक अपील खारिज कर रहे हैं कि CrPC की धारा 125 सभी महिलाओं पर लागू होगी, न कि केवल विवाहित महिलाओं पर।"

    बता दें, हाई कोर्ट ने समद को 10,000 रुपये गुजारा भत्ता देने को कहा था।

    फैसला

    कोर्ट ने दिया सुझाव

    कोर्ट ने कहा कि अगर CrPC की धारा 125 के तहत याचिका लंबित रहने के दौरान मुस्लिम महिला तलाकशुदा है तो वह मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 का सहारा ले सकती है, जो CrPC की धारा 125 के तहत उपाय के अलावा अन्य समाधान भी मुहैया कराता है।

    पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उन्होंने पत्नी को कुछ भुगतान किया?, इस पर याचिकाकर्ता ने बताया कि 15,000 रुपये का ड्रॉफ्ट दिया था, लेकिन पत्नी ने स्वीकारा नहीं।

    धारा

    क्या है CrPC की धारा 125

    CrPC की धारा 125 में भरण पोषण का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि जिस व्यक्ति के पास पर्याप्त धन और साधन है वह अपनी पत्नी, बच्चों और माता-पिता को भरण पोषण देने से मना नहीं कर सकता।

    धारा के तहत महिला को कानूनी रूप से विवाहित होना चाहिए। अगर पत्नी किसी दूसरे साथी के साथ रहे, बिना सही कारण बताए पति से अलग रहे और आपसी सहमति से अलग रहें तो भरण पोषण की अधिकार नहीं होगी।

    फैसला

    बॉम्बे हाई कोर्ट भी सुना चुका है फैसला

    दैनिक भास्कर के मुताबिक, इस साल जनवरी में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि अगर तलाकशुदा मुस्लिम महिला किसी अन्य व्यक्ति से शादी कर लेती है, तो भी पूर्व पति को महिला को कानून के तहत गुजारा भत्ता देना होगा।

    कोर्ट ने पत्नी को एकमुश्त गुजारा भत्ता देने के 2 आदेशों को पति द्वारा चुनौती देने की याचिका को भी खारिज किया था।

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