सैनिकों की सुरक्षा के लिए तैयार हो रहे 'भाभा कवच', AK-47 की गोलियां भी होगी नाकाम
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच उच्च स्तरीय तनाव बना हुआ है। कभी भी हालात बेकाबू हो सकते हैं। ऐसे में सरकार ने सैनिकों की सुरक्षा की तैयारी शुरू कर दी है और उनके लिए खास सुरक्षा कवच तैयार कराए जा रहे हैं। हैदराबाद में मिश्रा धातु निगम लिमिटेड (मिधानी) में अंतरराष्ट्रीय स्तर स्टैंडर्ड के बुलेट-प्रूफ जैकेट्स तैयार किए जा रहे हैं। इस जैकेट को AK-47 की गोलियां भी नहीं भेद पाएगी।
इस खास बुलेट-प्रूफ जैकेट का नाम है 'भाभा कवच'
TOI के अनुसार मिधानी में तैयार की जा रही अंतरराष्ट्रीय स्तर स्टैंडर्ड की इन बुलेट-प्रूफ जैकेट्स का नाम 'भाभा कवच' रखा गया है। इसका कारण है कि इस तकनीक को भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) ने विकसित किया गया है। इस जैकेट को पहनने के बाद AK-47 की गोली भी उससे टकराने के बाद बेकार हो जाएगी। इस कंपनी की ओर से सेना के लिए बुलेट-प्रूफ वाहन भी तैयार किए जा रहे हैं। इससे सेना को मजबूती मिलेगी।
जांच के लिए सेना की दी जा चुकी है कुछ जैकेट्स
मिधानी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजय कुमार झा ने बताया कि क्वालिटी जांच के लिए कुछ जैकेट्स सेना को उपलब्ध करा दी गई है। इन बुलेट प्रूफ जैकेट्स के बड़े पैमाने पर उत्पादान के लिए तकनीक के साथ ही कंपनी नजर दुनियाभर में तैयार हो रहे युद्ध के सामानों पर भी है। नए हथियारों के आने के साथ ही जैकेट्स को भी अपग्रेड कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह जैकेट्स गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस के अनुसार हैं।
गोली लगने के बाद भी 100 किलोमीटर चल सकेगा वाहन
झा ने बताया कि मिधानी को पूरी तरह से अपग्रेड किया जा रहा है। यहां बुलेट-प्रूफ जैकेट्स के साथ बख्तरबंद वाहन सहित अन्य सुरक्षा उपकरण तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां तैयार हो रहीं बख्तरबंद गाड़ियां किसी भी चुनौतीपूर्ण स्थिति से निपटने में सक्षम हैं। अगर गाड़ी के टायर में गोली भी लग जाए तो भी यह 100 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है। इस तकनीक को 'रनफ्लैट टायर' कहा जाता है।
बख्तरबंद गाड़ियों में होंगे ये फीचर
इसुजु बेस्ड कॉम्बैट गाड़ी के तौर पर पहचानी गई बख्तरबंद गाड़ियों में कई सारे और फीचर भी हैं। हथियार के साथ सात लोगों को ले जाने की क्षमता वाली इस गाड़ी को क्विक रिस्पॉन्स टीम, एस्कॉर्ट गाड़ी, सैनिकों को ले जाने जैसी ऑपरेशनल ड्यूटी में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना में डिफेंस पब्लिक सेक्टर को वरीयता दी जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार मिधानी में तैयार उपकरण सुरक्षा एजेंसियों के उपयोग के लिए मानक हैं।