बांग्लादेश ने उठाया एक और विवादित कदम, जजों को प्रशिक्षण के लिए नहीं भेजेगा भारत
क्या है खबर?
भारत से तनावपूर्ण संबंधों के बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। बांग्लादेश ने अपने 50 न्यायाधीशों और अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए भारत भेजने का कार्यक्रम रद्द कर दिया है। इसके पीछे की वजह भी नहीं बताई गई है।
बांग्लादेश के कानून मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रशिक्षण की अनुमति देने वाली पिछली अधिसूचना को रद्द कर दिया गया है। इसमें कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है।
रिपोर्ट
फैसला बांग्लादेशी सुप्रीम कोर्ट के अनुरूप- रिपोर्ट
द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यक्रम को रद्द करने का निर्णय बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप है। हालांकि, इसमें कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।
भारत आने वाले प्रतिभागियों में जिला और सत्र न्यायाधीश, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश और समकक्ष रैंक के अधिकारी शामिल थे।
बता दें कि एक दिन पहले ही बांग्लादेशी सरकार द्वारा संचालित संगबाद संस्था द्वारा न्यायाधीशों को भारत भेजने की बात कही गई थी।
प्रशिक्षण
भारत सरकार उठाने वाली थी प्रशिक्षण का खर्च
बांग्लादेश के अधीनस्थ न्यायालयों के 50 न्यायिक अधिकारी मध्य प्रदेश के भोपाल में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी और राज्य न्यायिक अकादमी में 10 दिनों के लिए प्रशिक्षण लेने के लिए आने वाले थे।
ये प्रशिक्षण 10 से 20 फरवरी तक चलना था।
इस प्रशिक्षण सत्र की पूरी लागत भारत सरकार की तरफ से वहन की जाने वाली थी।
बांग्लादेशी अखबारों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की सलाह के मद्देनजर कानून मंत्रालय ने इसकी अनुमति दे दी है।
तनाव
तनावपूर्ण चल रहे हैं भारत-बांग्लादेश संबंध
पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत में शरण ले रखी है। इसके बाद से भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव है।
मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लोगों उनके पूजा स्थलों पर हमले भी हो रहे हैं। भारत ने इसे लेकर ढाका के साथ चिंता भी जताई है।
बयान
भारत ने कहा- संबंधों में प्रमुख हितधारक लोग हैं
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत-बांग्लादेश के बीच संबंधों में प्रमुख हितधारक दोनों देशों के लोग हैं।
मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "विदेश सचिव विक्रम मिस्री की ढाका यात्रा के दौरान इस दृष्टिकोण पर जोर दिया गया था, जहां उन्होंने बांग्लादेश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए भारत के समर्थन को दोहराया था। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों के रिश्ते आपसी विश्वास, सम्मान और एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता पर आधारित होने चाहिए।"