शेख हसीना अब बांग्लादेश वापस नहीं लौटेंगी, बेटे ने कहा- मेरी मां ने देश को बदला
क्या है खबर?
बांग्लादेश में हिंसा के बीच अपनी जान बचाकर भारत आने वाली पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय का कहना है कि पूरे घटनाक्रम से उनकी मां बहुत निराश हैं और वह अब कभी बांग्लादेश वापस नहीं लौटेंगी।
अमेरिका में रह रहे जॉय ने न्यूज18 से बातचीत में कहा कि उनकी मां रविवार को ही प्रधानमंत्री पद से हटना चाहती थीं और इसकी घोषणा करने वाली थीं, लेकिन हिंसा के कारण उनको मौका नहीं मिला।
बातचीत
बांग्लादेश छोड़कर नहीं जाना चाहती थीं हसीना
जॉय ने NDTV को बताया कि उनकी मां हिंसा के बीच भी बांग्लादेश छोड़कर नहीं जाना चाहती थीं, लेकिन परिवार के जोर देने और उनकी सुरक्षा के लिए ऐसा किया गया।
उन्होंने पुलिस द्वारा सड़क पर लोगों को मारे जाने का समर्थन करते हुए कहा कि हिंसक भीड़ ने 13 पुलिसकर्मियों को मार दिया, ऐसे में आप पुलिस से क्या उम्मीद करेंगे।
जॉय ने बताया कि हसीना को सेना की ओर से कोई दबाव नहीं था।
समर्थन
मेरी मां ने बांग्लादेश को बदल दिया- जॉय
अपनी मां के पूर्व मुख्य सलाहकार रहे जॉय ने BBC से बातचीत में कहा कि उनकी मां ने बांग्लादेश को बदल कर रख दिया और विकसित देश की तरफ बढ़ाया।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश को कभी असफल और गरीब देश माना जाता था, लेकिन अब वो उभरता हुआ देश है। उन्होंने 15 सालों में देश के लिए बहुत मेहनत की और उग्रवादियों और आतंकवादियों से सुरक्षित रखा।
अब बांग्लादेश पर हिंसक लोगों का कब्जा है और नागरिक इसके हकदार हैं।
सरकार
बांग्लादेश में अब सेना का कब्जा, भारत में शेख हसीना
बांग्लादेश में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद हसीना अपनी छोटी बहन शेख रेहाना के साथ सेना के हेलीकॉप्टर में भारत आ गई हैं।
हसीना अपनी बहन के साथ भारत में तब तक अस्थायी तौर पर रहेंगी, जब तक उन्हें ब्रिटेन में राजनीतिक शरण नहीं मिल जाती। वह दिल्ली से लंदन रवाना होंगी।
हसीना के सत्ता से हटने के बाद सेना ने अंतरिम सरकार की घोषणा की है, जिसके लिए कई राजनीतिक दलों से बात की गई है।
सत्ता परिवर्तन
हसीना को क्यों छोड़ना पड़ा देश?
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण को खत्म करने को लेकर छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामला शांत हुआ, लेकिन गिरफ्तारियों के विरोध में छात्रों ने फिर प्रदर्शन शुरू कर दिया।
पुलिस के सख्ती बरतने पर उनके इस्तीफे की मांग ने जोर पकड़ लिया। इस दौरान हुई हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
हजारों की तादात में लोग सड़कों पर उतर आए, जिसके बाद हसीना को इस्तीफा देना पड़ा।