अयोध्या भूमि विवाद: सुप्रीम कोर्ट के ये पांच जज सुनाएंगे ऐतिहासिक फैसला
अयोध्या भूमि विवाद में आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा। इस मामले की 40 दिन तक नियमित सुनवाई हुई है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई की नेतृत्व वाली संवैधानिक बेंच ने इस मामले की सुनवाई 16 अक्टूबर को पूरी की थी। इस बेंच में रंजन गोगोई के अलावा देश के अगले CJI एस बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर शामिल हैं। आइये, इन सभी के बारे में सक्षिप्त से जानते हैं।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई
असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशब चंद्र गोगोई के घर जन्मे रंजन गोगोई 23 अप्रैल, 2012 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। इससे पहले वे 2011-12 तक हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश थे। भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 2018 में दीपक मिश्रा की रिटायरमेंट के बाद इस पद पर नियुक्त हुए थे। भारत के इतिहास में पहली बार जजों द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में रंजन गोगोई भी शामिल थे। वो 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
डीवाई चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सबसे लंबे समय तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे थे। जस्टिस चंद्रचूड़ 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किए गए थे। इससे पहले वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश थे। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड लॉ स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की है। साल 1998 में वे बॉम्बे हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील बनें और इसी साल इन्हें भारत का अतिरिक्त सॉलिस्टर जनरल बनाया गया था।
देश के अगले मुख्य न्यायाधीश भी बेंच में शामिल
रंजन गोगोई के रिटायर होने के बाद अगले मुख्य न्यायाधीश बनने वाले जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े भी इस बेंच का हिस्सा हैं। अप्रैल, 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज बनने से पहले जस्टिस बोबड़े मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की और 1978 में वकालत करियर की शुरुआत की। 2000 में जस्टिस उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त किया गया था।
जस्टिस अशोक भूषण 2016 में बने थे सुप्रीम कोर्ट के जज
इस बेंच में चौथे जज जस्टिस अशोक भूषण है। जस्टिस भूषण ने अपना वकालत करियर 40 साल पहले 1979 में शुरू किया था। साल 2001 में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज बनाया गया था। साल 2014 में उन्हें केरल हाई कोर्ट ट्रांसफर किया गया और अगले साल वो केरल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बन गए। इसके एक साल बाद यानी साल 2016 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।
2017 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे जस्टिस एसए नजीर
संवैधानिक बेंच का हिस्सा जस्टिस एसए नजीर ने भी अपने करियर की शुरुआत बतौर वकील 1983 से की थी। उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में लगभग 20 साल तक प्रैक्टिस की। इसके बाद उन्हें 2004 में परमानेंट जज बनाया गया। लगभग 13 साल बाद 2017 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। तीन तलाक मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने यह कहकर सुर्खियां बटोरी थीं कि अदालतें पर्सनल लॉ में दखल नहीं दे सकती।