लॉकडाउन: हरियाणा सरकार ने दिया पहली बार अपराध करने वालों को गिरफ्तार नहीं करने का आदेश
दुनियाभर में दहशत का पर्याय बन चुके कोरोना वायरस को धूल चटाने के लिए सभी देशों की सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है। कोरोना वायरस का सबसे तेजी से प्रसार कम्यूनिटी ट्रांसमिशन से होता है। भारत सरकार ने इसे रोकने के लिए लॉकडाउन का सहारा लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए कहा है। इस कड़ी में हरियाणा सरकार ने पहला अपराध करने वालों को गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया है।
सात साल से कम सजा वाले अपराध में न करें गिरफ्तारी
हरियाणा सरकार ने आदेश दिया है कि पहली बार अपराध करने वालों को गिरफ्तार नहीं किया जाए। पुलिस खासकर उन मामलों में गिरफ्तारी से बचें जिनमें सात साल से कम की सजा का प्रावधान है। हालांकि, पुलिस को यदि लगता है कि उसे किसी मामले में और अधिक जांच करने की जरूरत है तो ऐसी स्थिति में वह आरोपियों को गिरफ्तार कर सकती है। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित उच्चाधिकार समिति की सिफारिशों का हिस्सा है।
पुलिस आयुक्त और पुलिस अधीक्षकों को आदेशों की पालना के लिए किया पाबंद
राज्य के गृह मंत्रालय ने सभी संभागीय आयुक्त और उपायुक्तों के सभी पुलिस आयुक्त और पुलिस अधीक्षकों को आदेशों की कड़ाई से पालना कराने के लिए पाबंद किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि इस कदम से जहां जेलों में कैदियों और बंदियों की संख्या में कमी आएगी, वहीं थानों में भी हवालातों में भीड़ नहीं होगी। सरकार कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए हर आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार है।
इन अपराधों में बंद कैदियों को नहीं किया जाएगा रिहा
सरकार ने चोरी, POCSO अधिनियम, दुष्कर्म, एसिड अटैक, आतंकी गतिविधि में संलिप्तता, राष्ट्र विरोधी गतिविधि सहित संगीन अपराधों में सजा काट रहे कैदियों को पैरोल नहीं देने का आदेश दिया है। इन कैदियों को अलग-अलग रखने का निर्णय किया गया है।
सामान्य कैदियों को 45 दिन की पैरोल देने का दिया आदेश
सरकार ने सभी जेल अधीक्षकों को सामान्य कैदी और साधारण कारावास की सजा भुगत रहे कैदियों को छह सप्ताह अथवा 45 दिनों की पैरोल देने का भी आदेश दिया है। इसके अलावा ऐसे कैदी जिन्हें किसी मामले में जुर्माना नहीं भरने के कारण सजा दी गई हो और वह किसी अन्य मामले में अपराधी नहीं है, उन्हें छह सप्ताह की पैरोल देने के लिए कहा गया है। इसे आवश्यकता पड़ने पर आठ सप्ताह के लिए भी बढ़ाया जा सकता है।
सरकार ने दिया अग्रिम जमानत देने के आदेश
सरकार ने पुलिस द्वारा चालान पेश करने की प्रतिक्षा में जेलों में बंद बंदियों को भी छह सप्ताह अथवा 45 दिनों की अग्रिम जमानत देने का निर्णय किया है। सरकार ने कहा कि न्यायालयों में आवश्यक मामलों की सुनवाई हो रही है। ऐसे में सात साल से कम सजा के प्रावधान वाले अपराधों में कई बंदियों के खिलाफ अभी चालान पेश नहीं किया गया है। जेलों में बंदियों की संख्या कम करने के लिए अग्रिम जमानत दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह सुझाव
बता दें कि गत गत दिनों सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस राजीव शर्मा की बेंच ने राज्य सरकारों को कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदियों के होने पर कुछ मामलों में उनकी संख्या कम करने का सुझाव दिया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी किया था कैदियों को रिहा करने का निर्णय
बता दें की सुप्रीम कोर्ट के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी सात साल से कम सजा के प्रावधान वाले अपराधों में जेलों में बंद कैदियों को पैरोल देने का निर्णय किया था। उत्तर प्रदेश जेल प्रशासन की ओर से प्रदेश की 71 जेलों में बंद ऐसे लगभग 11,000 कैदियों की सूची तैयार की थी। इसके बाद गत 30 मार्च को विभिन्न जेलों से 1,618 कैदियों को तो निजी जमानती मुचलके पर रिहा कर दिया गया था।