दिल्ली में प्रदूषण से हालत खराब, अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या
दिल्ली और आसपास के शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण लोगों को खांसी, सांस लेने में परेशानी और आंखों में जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अस्पतालों में इन लक्षणों वाले मरीजों के संख्या तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों से इन मरीजों की तादाद ज्यादा बढ़ी है। दरअसल, दिल्ली में हर साल ही साल के इस समय प्रदूषण बढ़ता है, जिससे लोगों का जीना मुश्किल हो जाता है।
क्या कह रहे हैं डॉक्टर?
न्यूज18 से बात करते हुए फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में पल्मनेरी मेडिसिन के प्रमुख डॉ अर्जुन खन्ना ने कहा कि खांसी और सांस लेने में परेशानी का सामना करने वाले मरीजों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। इसी तरह दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स से जुड़े सीनियर कंसल्टेंट डॉ अवि कुमार ने बताया कि अस्पताल में आने वाले खांसी, नाक बंद होने, गले और आंखों में खुजली, सांस फूलने जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या ज्यादा हुई है।
फेफड़ों के संक्रमण और निमोनिया का बढ़ा खतरा
कुमार ने कहा कि आपातकालीन विभाग में ऐसे मरीज ज्यादा आ रहे हैं, जिन्हें अस्थमा और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां हैं। इसके अलावा लोगों मे फेफड़ों का संक्रमण और निमोनिया होने का खतरा भी बढ़ा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी चेताया है कि वायु प्रदूषण के चलते अस्थमा, फेफड़ों की बीमारी और कोरोना संक्रमण के बाद स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दूषित हवा के चलते इम्युन सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है।
वायु प्रदूषण से डायबिटीज का भी खतरा
दिल्ली स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के इंटरनल मेडिसिन के कंसल्टेंट डॉ राज कुमार ने कहा कि कुछ अध्ययनों में पता चला है कि प्रदूषण से डायबिटिज का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा प्रदूषण से आंखों से जुड़ी समस्याएं भी पैदा होती हैं।
स्पर्म काउंट में आ सकती है कमी
गुंजन IVF वर्ल्ड की प्रमुख डॉ गुंजन गुप्ता गोविल ने बताया कि दूषित हवा में सांस लेने से स्पर्म काउंट कम होता है। उन्होंने कहा, "हम जिस हवा में सांस ले रहे हैं, उसमें जिंक, कॉपर, लीड आदि के कण मिले हुए हैं, जिस कारण टेस्टोस्टेरोन और स्पर्म सेल बनना कम हो जाती हैं।" उन्होंने आगे बताया कि इससे महिला की सेहत पर भी असर पड़ता है और गर्भधारण करने में परेशानी हो सकती है।
कैसे करें प्रदूषण से बचाव?
विशेषज्ञों के अनुसार, लोगों को जहां तक संभव हो सके, एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्हें घर से बाहर और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचना चाहिए। अगर कोई घर से बाहर निकल रहा है तो मुंह पर मास्क और आंखों पर चश्मा रखें। प्रदूषण से होने वाले नुकसान से बचने के लिए अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। अगर कोई बीमार है तो उसे नियमित तौर पर अपनी दवाएं लेनी चाहिए।
सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल है दिल्ली
पिछले महीने जारी हुई स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर के हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) की रिपोर्ट में दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया था। प्रदूषण के कारण मौतों की सूची में भी वह छठवें स्थान पर रहा और यहां प्रति लाख आबादी पर 106 मौतें हुईं। 2019 में दिल्ली में प्रदूषण के कारण कुल 29,900 मौतें हुईं। इससे पहले IQAir की रिपोर्ट में दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी घोषित किया गया था।