अमित शाह का विपक्ष पर हमला, बोले- CAA मुस्लिम विरोधी नहीं, कभी वापस नहीं लिया जाएगा
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर उठ रहे सवालों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ किया कि ये कानून देश के अल्पसंख्यकों (मुस्लिमों) के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि इस कानून में देश के नागरिकों की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है और ये कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक रूप से सताए हुए गैर-मुस्लिमों के लिए है। विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने उस पर झूठ की राजनीति करने का आरोप लगाया।
देश के अल्पंसख्यकों को डरने की जरूरत नहीं- शाह
समाचार एजेंसी ANI के साथ इंटरव्यू में शाह ने कहा, " मैं CAA पर अलग-अलग मंचों से कम से कम 41 बार बोल चुका हूं और विस्तार से बता चुका हूं कि देश के अल्पसंख्यकों को इससे डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसमें देश के किसी नागरिक का कोई भी अधिकार वापस लेने का प्रावधान नहीं है।" उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिम चाहें तो भारतीय संविधान के नियमों के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
CAA को कभी वापस नहीं लिया जाएगा, राज्यों को करना होगा लागू- शाह
विरोध-प्रदर्शन होने पर CAA को वापस लेने के सवाल पर शाह ने साफ कहा कि CAA को कभी भी वापस नहीं लिया जाएगा। केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की सरकारों के CAA को लागू करने से इनकार करने पर उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 11 नागरिकता से संबंधित नियम बनाने की ताकत संसद को देता है और ये केंद्र का विष्य है, राज्यों का नहीं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद सभी राज्य सहयोग करेंगे।
CAA निरस्त करने के INDIA के वादे पर ये बोले शाह
सत्ता में आने पर CAA को निरस्त करने के विपक्षी गठबंधन INDIA के ऐलान पर शाह ने कहा, "वे भी जानते हैं कि वे सत्ता में नहीं आएंगे। भाजपा CAA लेकर आई है और मोदी सरकार ने इसे लागू किया है। इसे निरस्त करना नामुमकिन है। हम देशभर में बढ़ाएंगे ताकि जो इसे निरस्त करना चाहते हैं, वे अपने मंसूबों में कामयाब न हों।" उन्होंने कहा कि मोदी जी का इतिहास है कि वो जो बोलते हैं, वो करते हैं।
CAA के असंवैधानिक होने के आरोपों पर ये बोले शाह
CAA के असंवैधानिक होने के आरोपों पर शाह ने कहा, "ये कानून अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है। इसमें एक स्पष्ट, उचित वर्गीकरण है। ये उनके लिए कानून है, जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आ गए।"
CAA लागू करने पर शाह ने दिया ये जवाब
इंटरव्यू में शाह ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले CAA लागू करने पर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी, ममता और केजरीवाल सहित पूरा विपक्ष झूठ की राजनीति कर रहा है, इसलिए टाइमिंग पर सवाल नहीं उठता। भाजपा ने 2019 के घोषणापत्र में स्पष्ट कर दिया था कि हम CAA लेकर आएंगे। 2019 में इसे संसद के दोनों सदनों से पारित किया गया, लेकिन कोविड के कारण लागू करने में देरी हो गई।"
क्या है CAA?
CAA में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले इन समुदाय के लोगों को तुरंत नागरिकता दे दी जाएगी, वहीं उसके बाद या आगे आने वाले लोगों को 6 साल भारत में रहने के बाद नागरिकता मिल सकेगी। ये कानून दिसंबर, 2019 में संसद से पारित हुआ था।
CAA में मुस्लिमों को शामिल न करने पर लगा भेदभाव का आरोप
CAA में मुस्लिमों को छोड़कर बाकी सभी धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। मुस्लिमों को नागरिकता न देने पर काफी विवाद है। आलोचक इसे असंवैधानिक बताते हैं क्योंकि संविधान के अनुसार धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। सरकार के मुताबिक, मुस्लिम देशों में बहुसंख्यक मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव नहीं होता, इसलिए उन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया। इसे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के साथ लागू करने को लेकर 2019-20 में प्रदर्शन हुए थे।