पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले में आज आ सकता है फैसला, जानें क्या है पूरा मामला
पहलू खान की मॉब लिंचिंग मामले में आज राजस्थान की अलवर कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है। 2017 में हुई इस घटना में गोतस्करी के शक में डेयरी किसान पहलू खान की कथित गोरक्षकों ने पिटाई की थी, जिससे उसकी मौत हो गई। मामले में 7 आरोपियों पर अलवर जिला कोर्ट में मामला चल रहा है, जबकि घटना के समय नाबालिग रहे दो आरोपियों पर अलग से किशोर न्यायालय में सुनवाई हो रही है।
पशु खरीद कर ला रहे पहलू खान की कथित गोरक्षकों ने की थी पिटाई
1 अप्रैल 2017 को हरियाणा के नूह के रहने वाले पहलू खान अपने बेटों के साथ जयपुर से पशु खरीदकर ला रहे थे। अलवर के बहरोड़ में कथित गोरक्षकों ने उन्हें अवैध गो तस्करी के शक में पकड़ लिया और बुरी तरह पीटा। पिटाई के कारण 2 दिन बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई। मरने से पहले पहलू ने पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने 6 लोगों के नाम लिए थे।
पुलिस ने दी सभी 6 आरोपियों को क्लीन चिट
लेकिन राजस्थान पुलिस ने अपनी CID-CB जांच में इन सभी 6 आरोपियों को ये कहते हुए क्लीन चिट दे दी कि वो घटना के वक्त हमले की जगह से लगभग 4 किलोमीटर दूर एक गौशाला में मौजूद थे। आरोपियों को क्लीन चिट मिलने के बाद राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार की जमकर आलोचना हुई थी। हमले के समय पहलू के साथ मौजूद रहे उनके बेटे इरशाद ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने दवाब में ऐसा किया है।
वीडियो के आधार पर गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों पर हो रही सुनवाई
घटना के वीडियो और अन्य सबूतों के आधार पर पहलू ने जिन 6 आरोपियों का नाम अपने बयान में लिया था, उनसे अलग 9 अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से 2 आरोपी घटना के समय नाबालिग थे। वहीं, अन्य 7 आरोपियों, विपिन यादव, रविंद्र कुमार, कालूराम, दयाराम, योगेश कुमार उर्फ धोलिया, दीपक उर्फ गोली और भीम राठी, पर IPC की धारा 147, 323, 341, 302, 308, 379 और 427 के तहत आरोप तय किए गए हैं।
चिंता का विषय रहा है गोरक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग का मुद्दा
कथित गोरक्षा के नाम पर कानून अपने हाथ में लेने की बढ़ती सामाजिक प्रवृत्ति राजनीति में भी एक बड़ा मुद्दा रहा है। 2015 में उत्तर प्रदेश के दादरी में घर में बीफ होने के शक में मोहम्मद अखलाक की मॉब लिंचिंग इस कड़ी में पहली बड़ी घटना थी, जिसने देश को झकझोर कर रख दिया था। मॉब लिंचिंग की ऐसी घटनाओं को रोक पाने और उनसके खिलाफ सख्त संदेश देने में असफलता के लिए सरकार की जबरदस्त आलोचना भी हुई।