इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- उत्तर प्रदेश के गांवों में 'राम भरोसे' है स्वास्थ्य व्यवस्था
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में गांवों, कस्बों और छोटे शहरों में स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे है। कोर्ट ने कहा कि ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य केंद्रों में जीवन रक्षक उपकरणों की कमी है। मेरठ के सरकारी अस्पताल में एक शख्स की मौत और डॉक्टरों के उसकी पहचान करने में नाकाम रहने से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की।
क्या है पूरा मामला?
मेरठ के सरकारी अस्पताल के आइसोलेशन वॉर्ड में भर्ती 64 वर्षीय संतोष कुमार 22 अप्रैल को अस्पताल के बाथरूम में बेहोश हो गए थे और होश में लाने के तमाम असफल प्रयासों के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। हालांकि अस्पताल का स्टाफ उनकी पहचान नहीं कर पाए और उनकी फाइल ढूढ़ने में नाकाम रहे। इसके बाद उन्हें अज्ञात घोषित कर उनके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
जब मेरठ में यह स्थिति तो गांव तो राम भरोसे- कोर्ट
मामले से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने कहा कि अगर मेरठ जैसे शहर के अस्पताल में यह स्थिति है तो छोटे शहरों और गांवों की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को प्रसिद्ध हिंदी कहावत 'राम भरोसे' की तरह माना जा सकता है। कोर्ट ने इसे गंभीर लापरवाही का मामला बताते हुए राज्य सरकार को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने दिया बिजनौर की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था का उदाहरण
बिजनौर जिले का उदाहरण देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि यह बेहद चौंकाने वाला है कि बिजनौर में कोई भी लेवन-3 अस्पताल नहीं है। उसने कहा कि जिले में महज तीन सरकारी अस्पताल हैं जिनमें 150 बेड हैं, वहीं बाइपेप मशीनों की संख्या मात्र पांच और हाई फ्लो नैजल कैनुला की संख्या महज दो है। कोर्ट ने कहा कि जिले की 32 लाख की ग्रामीण आबादी पर महज 10 सामुदायिक केंद्र और 300 बेड हैं।
तीन लाख लोगों पर महज 30 बेड- कोर्ट
बेंच ने आगे कहा, "इस तरह हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तीन लाख लोगों का बोझ है और तीन लाख लोगों पर महज 30 बेड हैं। इसका मतलब एक सामुदायिक केंद्र केवल 0.01 प्रतिशत जनता की जरूरतों को पूरी कर सकता है और यहां कोई भी बाइपेप मशीन और हाई फ्लो नैजल कैनुला नहीं है। 300 बेडों पर महज 17 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स और 250 ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं।" कोर्ट ने सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने को कहा है।
उत्तर प्रदेश में क्या है कोरोना वायरस महामारी की स्थिति?
उत्तर प्रदेश अभी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। हालिया समय में यहां स्थिति में सुधार हुआ है और बीते दिन पूरे राज्य में 9,391 नए मामले सामने आए। दूसरी लहर के चरम पर यह आंकड़ा 38,000 से अधिक था। अब तक राज्य में कुल 16,29,036 लोगों को संक्रमित पाया जा चुका है, वहीं 17,831 लोगों की मौत हुई है। सक्रिय मामले भी चरम से 52 प्रतिशत कम होकर 1.49 लाख पर आ गए हैं।