गुजरात सरकार पर लगभग 61,000 कोविड मौतें छिपाने का आरोप, कांग्रेस ने की जांच की मांग
क्या है खबर?
हाल ही में गुजरात से एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई थी, जिससे राज्य सरकार पर कोरोना से होने वाली मौतें के आंकड़े छिपाने का आरोप लगा था।
गुजराती अखबार दिव्य भास्कर ने बताया था कि गुजरात में इस साल 1 मार्च से 10 मई के बीच 1.23 लाख मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए थे, जबकि पिछले साल इसी समयावधि में यह संख्या 58,000 थी।
कांग्रेस ने इन आरोपों की जांच की मांग की है।
गुजरात
सरकार कह रही है लगभग 4,200 मौतों की बात
दिव्य भास्कर के मुताबिक, पिछले साल 1 मार्च-10 मई के बीच गुजरात में 58,000 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए थे। इस साल महामारी की दूसरी लहर के दौरान 1 मार्च से 10 मई के बीच 1.23 लाख से अधिक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए हैं।
दूसरी तरफ गुजरात सरकार के मुताबिक, 1 मार्च से 10 मई के बीच राज्य में कोरोना से केवल 4,218 मौतें हुई हैं। ऐसे में रिपोर्ट से सरकार के दावे पर सवाल उठ रहे हैं।
गुजरात
रिपोर्ट सामने आने के बाद उठे ये सवाल
इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल की तुलना में लगभग 65,000 अधिक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए हैं, जबकि सरकार ने कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा 4,200 बताया है।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि लगभग 61,000 अन्य मौतें कैसे हुईं? क्या ये मौतें कोरोना से हुई थी, जिन्हें सरकार छिपा रही है?
इसे पहले न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया था कि कोरोना से मरने वालों की असल संख्या सरकारी आंकड़ों से 4-5 गुना अधिक है।
कोरोना से मौतें
रिपोर्ट के तथ्यों की जांच कर रहे अधिकारी
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि वो दिव्य भास्कर की रिपोर्ट के तथ्यों की जांच कर रहे हैं।
हालांकि, मुख्यमंत्री विजय रुपाणी कोरोना से होने वाली मौतों को छिपाने के आरोपों से इनकार कर चुके हैं।
उन्होंने कहा था कि नियमों के तहत कोरोना से होने वाली मौतों को दर्ज किया जा रहा है। अगर किसी दूसरी बीमारी वाले मरीज की मौत होती है तो एक समिति उसके मौत के कारणों का फैसला करती है।
मांग
कांग्रेस ने की जांच की मांग
शुक्रवार को गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता परेश धनानी ने मौतों के आंकड़ों को छिपाने के आरोपों की जांच की मांग की है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को कोरोना से होने वाली मौतों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जो आंकड़े छिपा रहे हैं।
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने की मांग की है।