सरकार ने कोरोना उपचार की सूची से हटाई प्लाज्मा थैरेपी, बंद होगा इस्तेमाल
भारत में अब कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और सरकार ने इसे अपने कोविड क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल से हटा दिया है। कई ट्रायल्स में प्लाज्मा थैरेपी को कोरोना मरीजों के इलाज में बेअसर पाए जाने के बाद कोविड राष्ट्रीय टास्क फोर्स और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह फैसला लिया है। विशेषज्ञ पहले से ही सरकार से प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल बंद करने की गुजारिश कर रहे थे।
क्या होती है प्लाज्मा थैरेपी?
कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी में कोरोना वायरस को मात दे चुके शख्स के खून से प्लाज्मा निकाला जाता है और उसे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है। प्लाज्मा खून का एक कंपोनेट होता है। जब कोई व्यक्ति कोरोना से ठीक होता है तो उसके शरीर में महामारी फैलाने वाले SARS-CoV-2 वायरस को मारने वाली एंटीबॉडी बनती है। माना जाता था कि प्लाज्मा के जरिये वो एंटीबॉडीज संक्रमित मरीज में पहुंचती हैं और उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत कर वायरस को मारती हैं।
कई ट्रायल्स में प्लाज्मा को पाया जा चुका है बेअसर
अभी तक ICMR-PLACID ट्रायल, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिकवरी ट्रायल और प्लास्मैर ट्रायल समेत कई ट्रायल्स में प्लाज्मा थैरेपी को कोरोना के उपचार में बेअसर पाया जा चुका है। रिकवरी ट्रायल इस संबंध में किया गया सबसे पड़ा ट्रायल था और तीन दिन पहले ही इसके नतीजे 'द लैंसेट' मेडिकल पत्रिका में प्रकाशित हुए थे। इसमें सामने आया कि प्लाज्मा के उपयोग पर 28 दिन के अंदर होने वाले मौतें कम नहीं होती और न ही मरीज जल्दी ठीक होता है।
इन ट्रायल्स में भी बेअसर साबित हुई प्लाज्मा थैरेपी
वहीं भारत में किए गए सबसे बड़े ICMR-PLACID में भी कुछ ऐसे ही नतीजे सामने आए थे। पिछले साल अक्टूबर में प्रकाशित हुए इसके नतीजों में कहा गया था कि प्लाज्मा थैरेपी मरीज को गंभीर बीमार होने से रोकने या मृत्यु दर को कम करने में कारगर नहीं है। इसके अलावा चीन और नीदरलैंड में हुए ट्रायल्स में भी कोरोना मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी का कोई असर नहीं देखने को मिला था।
विशेषज्ञ लगातार कर रहे थे प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल बंद करने की अपील
ये नतीजे साफ होने के बाद पिछले ही हफ्ते देश के 18 शीर्ष डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ICMR, AIIMS और केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डॉ के विजय राघवन को पत्र लिखकर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल बंद करने की अपील की थी। इससे पहले भी कुछ विशेषज्ञों ने आशंका जताई थी कि कमजोर इम्युनिटी वाले व्यक्ति को प्लाज्मा देने पर कोरोना वायरस के नए और खतरनाक स्ट्रेन पैदा हो सकते हैं।
अभी तक इन मानदंडों के आधार पर हो रहा था प्लाज्मा का उपयोग
बता दें कि भारत में अभी तक प्लाज्मा थैरेपी के ऑफ-लेबल उपयोग की मंजूरी थी। ऑफ-लेबल शब्द का मतलब है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके फायदों को लेकर आश्वस्त नहीं थे। डॉक्टरों को दो मानदंडों की पूर्ति पर ही इसका इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी। पहला बीमारी के पहले सात दिन के अंदर ही इसका उपयोग करना था और दूसरा केवल एंटीबॉडीज की उच्च संख्या वाले प्लाज्मा का ही इस्तेमाल करना था।
देश में कोरोना वायरस महामारी की क्या स्थिति?
देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 2,63,533 नए मामले सामने आए और रिकॉर्ड 4,329 मरीजों की मौत हुई। देश में लगातार दूसरे दिन तीन लाख से कम नए मामले सामने आए हैं। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,52,28,996 हो गई है। इनमें से 2,78,719 लोगों को इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामलों की संख्या कम होकर 33,53,765 हो गई है।