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    इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश, CAA विरोधी-प्रदर्शनों के दौरान हिंसा के आरोपियों की होर्डिंग उतारे सरकार

    इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश, CAA विरोधी-प्रदर्शनों के दौरान हिंसा के आरोपियों की होर्डिंग उतारे सरकार

    लेखन मुकुल तोमर
    Mar 09, 2020
    05:31 pm

    क्या है खबर?

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान कथित तौर पर हिंसा करने वालों के नामों और तस्वीरों वाली होर्डिंग्स को उतारने का आदेश दिया है।

    कोर्ट ने सरकार को सारी होर्डिंग उतारकर 16 मार्च तक कोर्ट में जबाव दाखिल करने का आदेश दिया है।

    बता दें उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी इन होर्डिंग्स में हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई इन्हीं आरोपियों से करने की बात कही थी।

    पृष्ठभूमि

    क्या है पूरा मामला?

    पिछले साल दिसंबर में संसद से CAA पारित होने के बाद देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। इस दौरान उत्तर प्रदेश में भी इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुए और कुछ जगहों पर हिंसा देखने को मिली।

    इन प्रदर्शनों के दौरान 20 से अधिक लोगों की मौत हुई जिनमें से अधिकांश के परिजनों ने पुलिस की गोली से मौत की बात कही।

    इसके अलावा संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया गया।

    वसूली का आदेश

    योगी सरकार ने किया था हिंसा के आरोपियों से नुकसान की वसूली करने का आदेश

    विरोध प्रदर्शनों को दौरान हुई हिंसा में करोड़ों रुपये की संपत्ति के नुकसान की बात करते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ ने कथित तौर पर हिंसा करने वाले लोगों से इसकी वसूली करने की घोषणा की।

    प्रशासन ने कई लोगों को लाखों रुपये का नोटिस भेजा था जिनमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल रहे जिनका हिंसा से कोई लेनादेना नहीं था।

    इसके अलावा सरकार ने तमाम चौराहों पर कुछ होर्डिंग्स भी लगवाए जिनमें हिंसा के आरोपियों की तस्वीर थी।

    होर्डिंग्स

    होर्डिंग्स में लिखा गया- नुकसान की भरपाई नहीं की तो होगी संपत्ति कुर्क

    इन होर्डिंग्स पर 29 लोगों का नाम, पता और तस्वीर लगी हुई थी और उन पर हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाया गया था।

    इसमें लिखा गया था कि अगर इन लोगों ने नुकसान की भरपाई नहीं की तो उनकी संपत्ति कुर्क कर ली जाएगी। सभी आरोपियों को मिलाकर कुल 64 लाख 37 हजार 637 रुपये सरकार को देने थे।

    इन लोगों में सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर और पूर्व IPS अधिकारी एसआर दारापुरी आदि भी शामिल थे।

    स्वतः संज्ञान

    रविवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

    बिना किसी जांच और कोर्ट की सुनवाई के ऐसे चौराहे पर लोगों की तस्वीरें लगाए जाने पर सवाल उठ रहे थे और रविवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच ने इसका स्वत: संज्ञान ले लिया।

    मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर की बेंच का ये फैसला अपने आप में दुर्लभ था क्योंकि रविवार को कोर्ट की छुट्टी थी।

    रविवार सुबह 10 बजे शुरू हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगाई।

    कोर्ट

    हाई कोर्ट बोली- सामाजिक अन्याय देख आंखे बंद नहीं कर सकती कोर्ट

    आज सुनवाई के दौरान होर्डिंग्स लगाने के योगी सरकार के फैसले को शर्मनाक बताते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि निजता का अधिकार संयुक्त राष्ट्र (UN) और सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत मौलिक मानवाधिकार है।

    सरकार ने जब मामले में स्वतः संज्ञान लेने के हाई कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए तो कोर्ट ने कहा कि एक कोर्ट का काम न्याय प्रदान करना है और कोई भी कोर्ट एक सामाजिक अन्याय देख अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती।

    सुनवाई

    कोर्ट ने कहा- सरकार के फैसले से हुआ संवैधानिक मूल्यों को नुकसान

    हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है, "मौजूदा मामला व्यक्तिगत सूचनाएं सार्वजनिक होने से व्यक्तियों को हुए नुकसान से संबंधित नहीं है, बल्कि इससे बहुमूल्य संवैधानिक मूल्यों को हुए नुकसान और प्रशासन द्वारा उसके शर्मनाक चित्रण से है।"

    अपनी सफाई में योगी सरकार ने कहा कि इसके पीछे उसका मकसद अन्य लोगों को ऐसे कृत्य दोबारा करने से रोकना और कानून व्यवस्था बनाए रखना है। उसने कहा कि मामला लखनऊ बेंच के अधिकार क्षेत्र में आता है।

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