अहमदाबाद: अस्पताल ने पहले परिवार को सौंपा मरीज का शव, फिर कही जिंदा होने की बात
क्या है खबर?
विवादों के केंद्र में चल रहे अहमदाबाद सिविल अस्पताल से एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। अस्पताल ने एक व्यक्ति के परिवार को कोरोना वायरस से संक्रमित किसी अन्य व्यक्ति का शव पकड़ा दिया और उन्होंने उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया।
बाद में अस्पताल ने परिजनों को बताया कि उनका मरीज अस्पताल में भर्ती है और ठीक हो रहा है।
पूरा मामला क्या है, आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
मामला
28 मई को अस्पताल में भर्ती कराए गए थे देवरामभाई
कोरोना वायरस से संक्रमण के लक्षण दिखने के बाद देवरामभाई भिसिकार को 28 मई को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
29 मई को उनके परिजनों को उनकी मौत की सूचना दी गई जिसके बाद परिजन तुरंत अस्पताल पहुंचे। इस समय तक देवराम की कोरोना वायरस की रिपोर्ट नहीं आई थी।
अस्पताल ने उन्हें एक शव सौंपा और इसके कोरोना संक्रमित होने की आशंका के चलते उन्हें बिना बॉडी बैग खोले अंतिम संस्कार की सलाह दी गई।
फोन कॉल
30 मई को आया फोन, अस्पताल ने कहा- देवराम की सेहत में हो रहा सुधार
इसके बाद देवराम के परिवार ने बिना बॉडी बैग खोले और शव की पुष्टि किए बिना ही अंतिम संस्कार कर दिया।
30 मई को परिजनों के पास एक बार फिर से अहमदाबाद सिविल अस्पताल से फोन आया जिसमें उन्हें देवराम के स्वास्थ्य में सुधार की बात कही।
देवराम के रिश्तेदार निलेशभाई ने कहा कि परिवार अभी भी भ्रम में है कि देवराम जीवित हैं या उनकी मौत हो गई।
बयान
बार-बार अलग जबाव दे रहा अस्पताल
निलेश ने बताया कि जब परिवार ने फोन आने के बाद फिर से अस्पताल से संपर्क किया तो प्रशासन ने उनसे गलती से फोन लगने की बात कहते हुए कहा कि देवराम की मौत 29 मई को ही हो चुकी है।
जब उन्होंने दूसरी बार फोन किया तो अस्पताल ने कहा कि देवराम को कोरोना वायरस टेस्ट नेगेटिव आया है और उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। अस्पताल के अलग-अलग जबावों से परिवार पूरी तरह से भ्रम में है।
जानकारी
अस्पताल के डॉक्टर ने कही देवराम की मौत की बात
वहीं अस्पताल के डॉक्टर शशांक जे पांड्या ने बताया कि जब देवराम को अस्पताल में लाया गया तो उसका शुगर 500 था और उनको सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उन्होंने कहा कि इन्हीं समस्याओं की वजह से देवराम का निधन हो गया।
विवाद
विवादों के केंद्र में है अहमदाबाद सिविल अस्पताल
बता दें कि गुजरात हाई कोर्ट ने खराब व्यवस्था और लापरवाही के कारण अहमदाबाद सिविल अस्पताल को काल कोठरी से भी बदतर बताया था।
कुछ दिन पहले ही यहां अस्पताल के रिकॉर्ड से गायब कैंसर के एक मरीज का शव मुर्दाघर में मिला था। अस्पताल ने परिजनों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी।
वहीं कोरोना वायरस के एक अन्य मरीज को अस्पताल ने घर से दूर बस स्टॉप पर छोड़ दिया था, जहां उसकी मौत हो गई।