बिना नोटिस अकाउंट ब्लॉक करने पर सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ की जानी चाहिए कार्रवाई- सरकार
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बिना नोटिस के अकाउंट ब्लॉक करने पर सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया है।
सरकार ने कहा कि बिना सूचना के यूजर्स के अकाउंट ब्लॉक करना संविधान में मिले बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन है।
ऐसे में सोशल मीडिया की इस तरह की कार्रवाई से एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
प्रकरण
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से मांगा था हलफनामा
बता दें के गत दिनों ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट टि्वटर ने बिना सूचना के दो यूजर्स के अकाउंट ब्लॉक कर दिए थे। इसको लेकर दोनों यूजर्स ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर टि्वटर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने बिना सूचना के अकाउंट ब्लॉक पर करने पर सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने या नहीं करने को लेकर केंद्र को हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए थे।
हलफनामा
केंद्र सरकार ने किया कार्रवाई किए जाने का समर्थन
केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया है।
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया है, 'बिना पूर्व सूचना के यूजर्स के अकाउंट ब्लॉक करने पर सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। अन्यथा एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे। किसी भी व्यक्ति की स्वतंत्रता को नहीं छीना जा सकता है।'
उल्लंघन
सोशल मीडिया कंपनियों को ठहराया जाना चाहिए जिम्मेदार- मंत्रालय
मंत्रालय ने कहा सभी सोशल मीडिया कंपनियों को अकाउंट ब्लॉक करने से पहले यूजर्स को उचित नोटिस देकर संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। ऐसा नहीं किए जाने पर कंपनियों को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
मंत्रालय ने कहा कि वह पूरी तरह से अपने नागरिकों के लिए मुक्त, सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह इंटरनेट सुविधा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कार्रवाई
सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार की जानी चाहिए कार्रवाई
मंत्रालय ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों को आपत्तिजनक पोस्ट किए जाने पर सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए। इसमें यूजर्स को कंपनी के शिकायत अधिकारी से संपर्क करने का अधिकार और अपील के लिए उपयुक्त प्रावधान शामिल हैं।
मंत्रालय ने कहा कि कोई भी कंपनी नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद-14 (गैर भेदभाव), अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (निजता का अधिकार) के तहत दिए गए अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकती है।
सम्मान
भारतीय कानूनों का सम्मान करें सोशल मीडिया कंपनियां- मंत्रालय
मंत्रालय ने कहा कि वह उम्मीद करता है कि सोशल मीडिया कंपनियां भारतीय कानून और संविधान के तहत काम करेगी। किसी भी कंपनी को भारतीय नागरिकों के संवैधानिक और मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं हो सकती है।
मंत्रालय ने कहा कि किसी भी कंपनी को अपने स्तर पर यूजर्स के अकाउंट को ब्लॉक नहीं करना चाहिए और हर समय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करके यूजर्स के मौलिक अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
सुझाव
मंत्रालय ने यह भी दिए हैं सुझाव
मंत्रालय ने सोशल मीडिया कंपनियों को कार्रवाई से पहले यूजर्स को नोटिस भेजने और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश) नियम, 2021 का उल्लंघन करने वाली पोस्ट को हटाने को कहना चाहिए।
नियमों के अनुसार, कोई भी कंपनी यूजर्स का अकाउंट रेप, यौन हिंसा और भड़काऊ भाषण जैसी नियम विरुद्ध पोस्ट या फिर कोर्ट के आदेश पर ही ब्लॉक कर सकता है। इसके अलावा कार्रवाई को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा।