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    भारत में पिछले साल 50 प्रतिशत तक बढ़े बाल विवाह के मामले, कर्नाटक में सबसे अधिक

    भारत में पिछले साल 50 प्रतिशत तक बढ़े बाल विवाह के मामले, कर्नाटक में सबसे अधिक
    लेखन भारत शर्मा
    Sep 18, 2021, 07:23 pm 1 मिनट में पढ़ें
    भारत में पिछले साल 50 प्रतिशत तक बढ़े बाल विवाह के मामले, कर्नाटक में सबसे अधिक
    भारत में 50 प्रतिशत तक बढ़े बाल विवाह के मामले।

    देश में बाल विवाह की रोकथाम के लिए सख्त कानून होने के बाद भी इन पर लगाम नहीं कस पा रही है। साल दर साल इनमें इजाफा ही हो रहा है। देश में पिछले साल यानी 2020 में भी बाल विवाह के मामलों में करीब 50 प्रतिशत इजाफा देखने को मिला है। इससे सरकार के प्रयासों की पोल खुल गई। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी किए साल 2020 के अपराध डाटा में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

    क्या है बाल विवाह निषेध अधिनियम?

    बता दें कि संसद ने साल 2006 में बाल विवाह निषेध अनियम, 1929 और उसके बाद के संशोधनों को निरस्त करते हुए "बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006" पारित किया था। इसमें महिला की 18 साल और पुरुष की 21 वर्ष से कम आयु में शादी नहीं की जा सकती। इस अधिनियम के तहत बाल विवाह दंडनीय अपराध और गैर-जमानती है। इसमें दोषियों को दो साल का कारावास या एक लाख रुपये का जुर्माना अथाव दोनों की सजा का प्रावधान है।

    भारत में पिछले साल बाल विवाह के दर्ज हुए 785 मामले

    NCRB के रिकॉर्ड के अनुसार, भारत में साल 2020 में बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत कुल 785 मामले दर्ज किए गए हैं। इसी तरह साल 2019 में इस अधिनियम के तहत 523 मामले, 2018 मे 501 मामले, 2017 में 395 मामले, 2016 में 326 मामले और 2015 में 293 मामले दर्ज किए गए थे। चौंकाने वाली बात यह है कि देश में दर्ज मामलों में ही इजाफा नहीं हुआ, बल्कि बाल विवाह की सूचनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है।

    कर्नाटक में दर्ज हुए सबसे अधिक मामले

    NCRB के रिकॉर्ड के अनुसार, भारत में पिछले साल दर्ज बाल विवाह के 785 मामलों में से कर्नाटक में 184 मामल दर्ज किए गए हैं। इसी तरह असम में 138, पश्चिम बंगाल में 98, तमिलनाडु में 77 और तेलंगाना में 62 मामले दर्ज हुए हैं।

    प्रेम विवाह भी है बाल विवाह में बढ़ोतरी का कारण- सेन

    मानव तस्करी से बचाए गए लोगों के लिए राष्ट्रीय मंच फोरम अगेंस्ट ट्रैफिकिंग का हिस्सा संजोग गैर सरकारी संगठन (NGO) के संस्थापक रूप सेन ने कहा, "बाल विवाह के मामलों में लगातार बढ़ोतरी मतलब यह नहीं है कि ऐसे मामलों में उछाल आया है, लेकिन ऐसे मामलों की शिकायतों में भी इजाफा हुआ है।" उन्होंने कहा, "किशोर युवक-युवतियों के प्रेम संबंध और घर से भागकर शादी करने के मामलों ने भी बाल विवाह में इजाफा किया है।"

    जागरुकता के कारण हुआ शिकायतों में इजाफा- गुप्ता

    इंडिया टुडे के अनुसा, कलकत्ता हाई कोर्ट के अधिवक्ता कौशिक गुप्ता ने कहा कि सरकारी विभाग, कलक्टर और स्थानीय पंचायत जागरूक हो गए हैं। इसके कारण शिकायतों में इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि उनके हिसाब से बाल विवाह में इजाफा न होकर शिकायतों में इजाफा हुआ है। सबसे महत्वपूर्ण है कि सरकारी विभाग भी चाहते हैं मामलों को रोककर अपनी दक्षता दिखाए और सरकार को बताएं कि उन्होंने इतने बाल विवाह रुकवाएं हैं।

    कोरोना महामारी के कारण हुई बाल विवाहों में वृद्धि- चौधरी

    सेव द चिल्ड्रन के निदेशक अनिंदित रॉय चौधरी ने कहा कि कोरोना महामारी ने बाल विवाह में वृद्धि की है और यह समुदायों में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और झुग्गी बस्तियों में काम करने वाले उनके कर्मचारियों ने बताया कि महामारी के कारण बाल विवाह बढ़े हैं। कई परिवारों के अपनी आजीविका खोने के कारण परिजनों को लग रहा है कि उन्हें बच्चों की शादी कर देनी चाहिए। इससे उनकी जिम्मेदारी कम हो जाएगी।

    लड़कियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक है बाल विवाह- चौधरी

    चौधरी ने कहा कि भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में लोग रोजगार की कमी और जिम्मेदारियों से मुक्त होने के लिए बच्चों का बाल विवाह कर रहे हैं, लेकिन यह लड़कियों के लिए बेहद घातक है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह का मतलब यह नहीं कि लड़कियों के शिक्षा और जीवन के अवसर खत्म हो जाते हैं, इसका सबसे बड़ा प्रभाव उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। ऐसे में बाल विवाह को पूरी तरह से खत्म करना जरूरी है।

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