झारखंड: लातेहार में करमा विसर्जन के दौरान गहरे पानी में डूबने से सात लड़कियों की मौत
झारखंड के लातेहार जिले में मननडीह टोला गांव में करमा पूजा की खुशियां उस समय काफूर हो गई जब करमा डाल को विसर्जित करने के लिए तालाब में गए लोगों में से तीन सगी बहनों सहित सात लड़कियों की डूबने से मौत हो गई। आस-पास के ग्रामीणों ने शवों को तालाब से बाहर निकाला और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने सभी शवों का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों के सुपुर्द कर दिए। हादसे से गांव में शोक की लहर है।
करमा डाल को विसर्जित करने गई थी भी लड़कियां
बालूमाथ थाना पुलिस ने बताया कि शेरेगाड़ा ग्राम के मननडीह टोला में शुक्रवार को रात को करमा पूजा आयोजित कराई गई थी। इसमें गांव के सभी लोगों ने हिस्सा लिया था। इससे गांव में जश्न का माहौल था। शनिवार को लोग पूजा के बाद करमा डाल को विसर्जित करने के लिए तालाब पर गए थे। उसी दौरान नहाते समय तीन सगी बहनों सहित सात लड़कियां अचानक गहने पानी में चली गई। उन्होंने बचने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हुई।
चार लड़कियों की मौके पर ही हुई मौत
न्यूज 18 के अनुसार, पुलिस ने बताया लड़कियों को पानी में डूबता देखकर अन्य ग्रामीणों ने तालाब में उतरकर बचाने का प्रयास किया, लेकिन वह गहरे पानी में जा चुकी थी। इसके बाद अन्य ग्रामीणों की मदद से बाद में उन्हें बाहर निकाला गया। इस दौरान चार लड़कियों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। ग्रामीणों ने तीन अन्य लड़कियों को तत्काल अस्पताल पहुंचाया, लेकिन वहां चिकित्सकों ने उन्हें भी मृत घोषित कर दिया। इससे गांव में कोहराम मच गया।
हादसे में इनकी हुई मौत
पुलिस ने बताया कि मृतक तीन सगी बहनों की पहचान रेखा कुमारी (18), लक्ष्मी कुमारी (8) और रीना कुमारी (11) पुत्री अकलू गंझू के रूप में हुई है। इसी तरह चार अन्य मृतकों में मीना कुमारी (8) पुत्री लालदेव गंझू, पिंकी कुमारी (15) पुत्री जगन गंझू, सुषमा कुमारी (7) पुत्री चरण गंझू) और सुनीता कुमारी (17) पुत्री बिफा गंझू शामिल है। पुलिस ने बताया कि गांव में एक साथ सात अर्थियां उठने से शोक की लहर है।
आदिवासियों का प्रमुख त्योहार है करमा एकादशी
बता दें पद्मा एकादशी या जलझूलनी एकादशी को बिहार और झारखंड में करमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। झारखंड में यह आदिवासियों का प्रमुख त्योहार है। इस दिन बहन अपने भाइयों के लिए इस व्रत को करती हैं। रात्रि में झुर की पूजा करती हैं। करमी और बेलोधर के पत्तों का विशेष रूप से प्रयोग करती हैं। पूजा के अगले दिन करमा डाल को तालाब में विसर्जित किया जाता है। इस दिन बासी भोजन की परंपरा होती है।