बीते साल हर दिन औसतन 34 छात्रों ने की आत्महत्या, खुदकुशी के कुल मामले भी बढ़े
देश में पिछले साल 12,500 छात्रों ने आत्महत्या की थी। यानी रोज औसतन 34 छात्र खुदकुशी कर रहे थे। आंकड़ों से पता चलता है कि कई राज्य ऐसे भी हैं, जहां प्रतिदिन एक से ज्यादा छात्र अपना जीवन समाप्त कर रहा था। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी, अचानक से बदली परिस्थितियां, पढ़ाई में आ रही चुनौतियों के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक कारण आत्महत्याओं की संख्या में बढ़ोतरी की वजह हो सकती हैं।
2019 की तुलना में 21 प्रतिशत बढ़े मामले
TOI के अनुसार, 2020 में छात्रों के बीच खुदकुशी के मामले 2019 की तुलना में 21 प्रतिशत बढ़े हैं। 1995 के बाद के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि देश में 1.8 लाख छात्र खुदकुशी कर अपना जीवन गंवा चुके हैं। इसमें पिछले साल सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए। पिछले साल खुदकुशी करने वाले 12,526 छात्रों में से 53 प्रतिशत (6,598) महाराष्ट्र, तमिलनाडु, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के रहने वाले थे।
ये हैं छात्रों की आत्महत्या की दर
1990 से 1995 के बीच कुल आत्महत्याओं में छात्रों की खुदकुशी के मामले 5.2 प्रतिशत थे, जबकि 2000-2009 के बीच यह दर केवल एक साल 5 प्रतिशत से अधिक हुई थी। अगले सालों में इसमें बढ़ोतरी देखी गई और 2010-14 के बीच यह बढ़कर दो साल 6 प्रतिशत से ज्यादा रही। 2014 के बाद से यह हर साल 6 प्रतिशत से अधिक रही और 2019 में 7.4 प्रतिशत और 2020 में 8.2 प्रतिशत हो गई।
जानकार क्या वजह मानते हैं?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस में विभागाध्यक्ष डॉ जॉन विजय सागर ने कहा कि आत्महत्या अचानक नहीं होती। अधिकतर मामलों में छात्रों को पहले मुश्किलें हुई होती हैं। महामारी के कारण उन्हें अतिरिक्त तनाव से गुजरना पड़ा है। उन्होंने बताया कि अधिकतर छात्रों को अपना समय घर में अकेले गुजरना पड़ा है, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है। साथ ही इस दौरान घरों की परेशानियों भी छात्रों के सामने आईं हैं।
देश में आत्महत्याओं की घटनाओं में 10 फीसदी इजाफा
पूरे देश की बात करें तो कुल आत्महत्या का आंकड़ा 10 प्रतिशत बढ़कर 1,53,052 हो गया है, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। देश में बीते साल व्यापारियों की आत्महत्या करने की घटनाओं में 2019 की तुलना में 50 प्रतिशत इजाफा देखा गया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि किसी भी श्रेणी में यह सबसे बड़ा इजाफा है और बीते साल देश में किसानों से ज्यादा कारोबारियों ने आत्महत्या की है।
इन हेल्पलाइन से ले सकते हैं मदद
आत्महत्या एक गंभीर समस्या है। अगर आप या आपके जानने वाले किसी भी प्रकार के तनाव से गुजर रहे हैं तो आप नीचे दिये नंबरों पर फोन कर मदद प्राप्त कर सकते हैं।आसरा: यह मुंबई स्थित NGO है, जो परेशान और अवसाद से घिरे लोगों की मदद करता है। हेल्पलाइन नंबर- 91-22- 27546669स्नेहा इंडिया फाउंडेशन: यह संस्था हफ्ते के सातों दिन 24 घंटे सेवा देती है। हेल्पलाइन नंबर- 91-44-24640050वंद्रेवाला फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्थ: हेल्पलाइन नंबर- 18602662345